जस्टिस करनन की जांच के लिए SC ने बनाया मेडिकल बोर्ड, 18 मई को अगली सुनवाई

कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस CS कर्णन मामले में सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस करनन की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन के आदेश दिए हैं. कोर्ट के आदेश के अनुसार कोलकाता के सरकारी अस्पताल का मेडिकल बोर्ड चार मई को जस्टिस करनन की जांच करेगा.

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जस्टिस करनन की जांच के लिए SC ने बनाया मेडिकल बोर्ड, 18 मई को अगली सुनवाई

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  • May 1, 2017 6:14 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस CS कर्णन मामले में सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने जस्टिस करनन की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन के आदेश दिए हैं. कोर्ट के आदेश के अनुसार कोलकाता के सरकारी अस्पताल का मेडिकल बोर्ड चार मई को जस्टिस करनन की जांच करेगा.
 
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को मेडिकल बोर्ड की मदद के लिए पुलिस टीम बनाने के निर्देश दिए. मेडिकल बोर्ड आठ मई तक कोर्ट में रिपोर्ट सौपेंगा. वहीं मामले की अगली सुनवाई 18 मई को होगी.
 
संविधानिक पीठ ने कहा है कि 18 मई तक जस्टिस करनन जवाब नहीं देते तो माना जाएगा कि वो कुछ नहीं कहना चाहते. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि देश की कोई भी कोर्ट या ट्रिब्यूनल 8 फरवरी के बाद जारी किए गए जस्टिस करनन के आदेश पर संज्ञान ना लें. 
 
वहीं इससे पहले कोर्ट की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सीएस कर्णन के खिलाफ समन जारी किया. समन में चीफ जस्टिस के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय के सात न्यायधीशों को 28 अप्रैल तक अपनी अदालत में पेश होने का निर्देश दिया.
 
सुप्रीम कोर्ट के इन सातों न्यायधीशों ने खुद ही संज्ञान लेते हुए जस्टिस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था, जिसके बाद 31 मार्च 2017  को शीर्ष अदालत के सामने पेश भी हुए थे. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनका अपना जवाब देने के लिए 4 सप्ताह तक का समय दिया है.
 
गुरुवार को जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को समन जारी करते हुए कहा कि सभी सातों जज 28 अप्रैल को 11.30 बजे मेरे कोलकाता के न्यू टाउन में रोजडेल स्थित आवास पर अपना जवाब दें, क्योंकि अब मेरा अवास ही अब मेरी अस्थायी अदालत है. 
 
न्यायालय की अवमानना मामले में जस्टिस कर्णन का नाम उस समय सामने आया था जब उन्होंने खुद ही पीएम मोदी के पत्र लिखकर भ्रष्ट जजों पर कार्रवाई करने को कहा था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट 20 जजों के नाम भी उसमें शामिल था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्व संज्ञान लिया.

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