नई दिल्ली: नीति आयोग ने साल 2024 से लोकसभा अैर विधानसभा चुनावों को एकसाथ करवाने का सुझाव दिया है, इसके पीछे आयोग का तर्क है कि ऐसा करने से चुनाव के दौरान ‘प्रचार मोड’ में जाने से शासन व्यवस्था और सरकारी कामों में रुकावटें भी कम होंगी और फिजुल पैसे भी खर्च कम होंगे.
इस प्रस्ताव की रूप रेखा तैयार करने वाले नीति आयोग के थिंक टैंक का मानना है कि इस प्रस्ताव को लागू करने से अधिकतम एक बार कुछ विधानसभाओं के कार्यकाल बढ़ेंगे या कुछ में कटौती करनी पड़ेगी.
हालांकि, नीति आयोग ने इस प्रस्ताव से चुनाव आयोग को अवगत करा दिया है और इस पर गौर करने को कहा है. इसके अलावा ये भी सुझाव दिया है कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों को एकसाथ कराने के लिए एक टीम गठित कर रोड मैप तैयार करे.
इस समिति को छह माह के अंदर रिपोर्ट देना होगा और इसका अंतिम खाका अगले मार्च तक तैयार हो जाएगा.
बता दें कि इस संबंध में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और पीएम नरेंद्र मोदी भी एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव करवाने की वकालत कर चुके हैं.
नीति आयोग के प्रस्ताव के मुताबिक, भारत में सभी चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और समकालिक तरीके से होने चाहिए ताकि शासन व्यवस्था में प्रचार मोड के कारण कम से कम रुकावटें हों. इसलिए हम 2024 के चुनाव से इस दिशा में काम शुरू कर सकते हैं.’
गौरतलब है कि एकमुश्त चुनाव कराने की वकालत करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि देश में हर वक़्त कहीं न कहीं चुनाव होते हैं. इस वजह से देश के सरकारी खजाने को चपत लगती रहती है. 2009 में हुए लोक सभा चुनाव में 1,100 करोड़ रूपये खर्च हुए थे और 2014 के चुनाव में 4,000 करोड़ रूपये खर्च हुए थे.
साथ ही उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से करोड़ों सरकारी कर्मचारी, जिसमें शिक्षक भी शामिल होते हैं, सबको चुनावी कार्य में लगना पड़ता है. जिसके कारण शिक्षा के क्षेत्र में काफी नुकसान होता है.