लखनऊ : गैंगरेप केस को लेकर जेल में बंद उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत देने वाले जज ओम प्रकाश मिश्र को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सस्पेंड कर दिया है. साथ ही प्रजापति की जमानत पर भी रोक लगा दी गई है.
ओम प्रकाश मिश्र को उनके रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले ही सस्पेंड कर दिया गया है, वह 30 अप्रैल यानी रविवार को रिटायर हो रहे थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति ने ओम प्रकाश को सस्पेंड किया है. गायत्री को जिस आधार पर जमानत दी गई थी वह संदेह के दायरे में है.
क्या है मामला ?
गायत्री प्रजापति को सेशन कोर्ट से ओम प्रकाश मिश्र ने ही जमानत दी थी. बता दें कि प्रजापति ने 24 अप्रैल को ही जमानत याचिका दाखिल की थी और 25 अप्रैल को ही इस याचिका पर सुनवाई कर दी गई थी और गायत्री को जमानत दे दी गई थी. जल्दबाजी में इस मामले में सुनवाई हुई और जमानत दी गई थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने राज्य सरकार ने पोस्को कोर्ट के इस आदेश को चुनौती दी थी. जिस पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने दिलीप बी भोंसले ने पोस्को कोर्ट के अतिरिक्त सेशन कोर्ट के जज ओम प्रकाश को सस्पेंड करने का आदेश दे दिया.
कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है, ‘जिस तरह से जज ने आरोपी के अपराध की गंभीरता को अनदेखा कर जमानत देने में जल्दबाजी की है, उससे इन जज की मंशा पर संदेश पैदा होता है, जो खुद 30/4/2017 को रिटायर हो रहे हैं.’
क्या है गायत्री पर आरोप?
गायत्री प्रसाद प्रजापति पर एक महिला ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर गैंगरेप किया है. इतना ही नहीं प्रजापति ने इस घटना का पूरा वीडियो बना लिया और ब्लैकमेल कर पूरे तीन साल तक यौन शोषण किया. एक दिन प्रजापति ने उसकी बेटी के साथ भी रेप करने की कोशिश की है.