नई दिल्ली : अब यूपी, बिहार, जम्मू कश्मीर, कोशी का कहर या ब्रह्मपुत्र की बाढ़ से होने वाली तबाही या होने वाली जिंदगियों के नुक्सान को काफी हद तक कम किया जा सकेगा. इसका जिम्मा भारत नेपाल भूटान सीमा पर तैनात रहने वाली सशस्त्र सीमा बल यानी एसएसबी ने उठाया है. पूरे भारत में कहीं भी बाढ़ के हालात से निपटने के सबसे पहले पहुंचने वाले और रेस्क्यू में जुटने वाली पहली संस्था है. इसीलिए इसके जवानों की बाढ़ से निपटने की एडवांस ट्रेनिग दी जा रही है.
पिछले कई महीनों से एसएसबी जवानों को पोरबंदर के समुद्र में लहरों में जहां समुद्र में हमेशा बाढ़ जैसी लहरें उठती हैं. जहां समुद्र में बाढ़ जैसी लहरें उठती रहती हैं. उस जगह पर इन जवानों को उस जगह पर बाढ़ के हालात में रेस्क्यू करने की एडवांस ट्रेनिग दी जा रही है. इनकी एक सौ बीस किलो की राफ्ट (नाव) के पलटने की स्थिति में बचाव करने के तौर तरीके और नाव को फिर से काम करने के सीधा करने की तकनीक सिखाई जा रही है.
एक सौ बीस किलो की नाव को जवान सैकण्डों में उल्ट देते है और सीधा भी कर देते है. डूबती हुई जिंदगियों को कैसे बहाव में बचाया जाए इसके पूरे तौर तरीके सिखाये जा रहे हैं. लहरों के बीच इजराइली और अमेरिकी तकनीक के आधार पर ये लोग बचाव करने के तरीकों की ट्रेनिग दी जा रही है. पोरबंदर को इसलिए चुना गया क्योंकि यहाँ के समुद्र में बारह महीने बाढ़ वाली लहरें उठती है और बाढ़ से निपटने का तौर तरीकों को सीखने के लिए इससे बेहतर कोई भी जगह नहीं हो सकती है.
एसएसबी जवानों की कार्य छमता देखकर आप दंग रह जायेंगे. 6 घंटे पानी में लागातार काम कर सकते है. इसके लिए इन्हें कठिन ट्रेनिग दी गई है. पानी में लहरों के बीच तेजी से तैरने के तरीके भी इन्हें सिखाये जा रहे हैं. इसके आलावा ये दल सिविलियन को भी ट्रेनिग देता है. भूटान नेपाल सरहद पर सीमा की रक्षा करने वाले ये जवान बाढ़ की स्थिति में पूरे देश में भेजे जाते है. इंटर नेशनल स्टेंडर्ड के लाइफ सेविंग तौर तरीकों से तैयार ये जवान देश में बाढ़ में जाने वाली जिंदगियों को बचायेंगे. बीते दिनों में इन्होंने जम्मू कश्मीर उतराखंड में कई जगहों पर सरहनीय कार्य किये है. गुजरात स्थापना दिवस के मौके पर ये जवान अहमदाबाद की साबरमती नदी में अपने कर्तव्य दिखायेंगे.