मालेगांव ब्लास्ट केस : कर्नल पुरोहित ने जमानत के लिए SC में दाखिल की याचिका

मुंबई हाई कोर्ट से जमानत याचिका रद्द होने के बाद मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी कर्नल पुरोहित ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया जिस आधार पर साध्वी प्राची को ज़मानत मिली उसकी आधार पर इन्हें भी मिलनी चाहिए थी.

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मालेगांव ब्लास्ट केस : कर्नल पुरोहित ने जमानत के लिए SC में दाखिल की याचिका

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  • April 28, 2017 5:51 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : मुंबई हाई कोर्ट से जमानत याचिका रद्द होने के बाद मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी कर्नल पुरोहित ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.  याचिका में कहा गया जिस आधार पर साध्वी प्राची को ज़मानत मिली उसकी आधार पर इन्हें भी मिलनी चाहिए थी. 
 
बता दें कि 25 अप्रैल को नासिक जिले के मालेगांव में हुए ब्लास्ट मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को जमानत दे दी थी. वहीं कर्नल श्रीकांत पुरोहित की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने 5 लाख के निजी मुचलके पर साध्वी प्रज्ञा को जमानत दी.
 
बता दें कि 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों को एनआईए ने पहले ही क्लीन चिट दे दी थी. NIA ने दाखिल अपने पत्र में कहा कि साध्वी और पुरोहित को ATS फंसा रही है. इस मामले के एक और मुख्य आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित पर मकोका की कड़ी धाराएं हटाते हुए एनआईए ने कहा था कि पुरोहित के क्वार्टर में महाराष्ट्र एटीएस ने ही आरडीएक्स रखा था.
  
एनआईए ने मुंबई की अदालत में जो चार्जशीट दायर की थी उसमें साध्वी का नाम नहीं था, जिसके बाद ही ऐसा कहा जा रहा था कि साध्वी को जल्द ही रिहाई मिल सकती है. एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में कहा था कि आरोपी को न्यायिक हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस मामले में आरोप पत्र दायर किया जा चुका है और आरोप तय करने पर दलील चल रही है.
  
क्या है मामला
29 सितंबर 2008 को रमजान के दौरान नासिक जिले के मालेगांव में दो बम धमाके हुए थे. धमाकों में 7 लोग मारे गए थे और करीब 79 लोग घायल हो गए थे. मालेगांव धमाकों की जांच में कई उतार-चढ़ाव आते रहे हैं. पहले इसमें सिमी का हाथ माना गया.
 
लेकिन बाद में इस धमाके के लिए हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोगों को जिम्मेदार बताया गया. 2011 में मामला एनआईए को सौंपे जाने से पहले एटीएस ने 16 लोगों पर मामला दर्ज किया था. लेकिन मुंबई की एक कोर्ट में 20 जनवरी 2009 और 21 अप्रैल 2011 को 14 आरोपियों के खिलाफ ही आरोप-पत्र दाखिल किए गए. 

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