नीतीश के काफिले की वजह से रुका शहीद जवानों के पार्थिव शरीर को ले जाने वाला ट्रक

पटना: सुकमा में जवानों की शहादत के सम्मान में दिल्ली बीजेपी ने जीत का जश्न नहीं मनाया लेकिन पटना में एकदम अलग ही तस्वीर नज़र आई. पटना एयरपोर्ट पर जवानों का पार्थिव शरीर पहुंचा तो नीतीश सरकार का एक भी मंत्री श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचा. ऊपर से सीएम के काफिले को रास्ता देने के लिए शहीदों के ट्रक को रोक दिया गया.
नीतीश के काफिले ने रोका शहीदों का शव
सीएम नीतीश कुमार के काफिले की गाड़ियां एक एक कर दनदनाती हुई निकल रही थीं और दूसरी तरफ शहीदों का पार्थिव शरीर से लगा ट्रक इस काफिले के गुजरने का इंतजार कर रहा था. दरअसल ये ट्रक पटना एयरपोर्ट से शहीदों का शव लेकर निकला था. लेकिन रास्ते में सीएम नीतीश कुमार का रूट लग गया. रूट लगते ही इस ट्रक को यहां रोक दिया गया. चंद मिनटों बाद यहां से सीएम का काफिला गुजरा और इसके बाद ही इस ट्रक को आगे बढ़ने दिया गया.
लालू ने किया बचाव
नीतीश कुमार के काफिले के कारण शहीदों के पार्थिव शरीर की गाड़ी को रोके जाने का लालू ने बचाव किया है. लालू प्रसाद ने कहा कि उन्हें जानकरी नहीं होगी इसलिए कंप्यूजन पैदा हुआ होगा. उन्होंने कहा कि राजद के नेता भी शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए गये थे. वहीं राबड़ी देवी ने कहा कि इस बात की उन्हें जानकारी नहीं होगी.
मंत्री भी नहीं पहुंचे
हैरानी की बात ये है कि सीएम जिस जगह कार्यक्रम में पहुंचे थे. वहां से चंद कदमों की दूरी पर ही एयरपोर्ट है. कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार के अलावा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद थे लेकिन दोनों में से कोई एयरपोर्ट पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचे. खैर सीएम और डिप्टी सीएम तो व्यस्त थे ही पर क्या बिहार सरकार के किसी मंत्री के पास भी शहीदों के लिए वक्त नहीं था? या फिर इन नेताओं को मौत पर सिर्फ सियासत करना आता है.
फिर दुख जताने की रस्मअदायगी क्यों ?
शहीदों के प्रति संवेदनहीनता का ये कोई पहला मांमला नहीं है. साल 2013 में पुंछ में शहीद हुए जवान प्रेमनाथ सिंह को लेकर तब बिहार सरकार के अलग-अलग मंत्रियों का हैरान करने वाला बयान सामने आया था. शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल न होने पर तब मंत्री रहे गौतम सिंह ने कहा था- क्या फर्क पड़ता है.
एक और मंत्री भीम सिंह ने तब कहा था कि जवान शहीद होने के लिए ही होते हैं. जबकि तब नीतीश सरकार में कृषि मंत्री रहे नरेन्द्र सिंह ने शहीदों के परिजनों के अनशन को नाटक बताया था.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि नीतीश कुमार की छवि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद लगातार खराब हो रही है. सुशासन बाबू वाली उनकी छवि अब सत्ता के लिए समझौता करने वाले नेता के तौर पर बनती जा रही है. शहीद के पार्थिव शरीर को ले जा रहे ट्रक को रोकना भी सत्ता का नशा सवार होने का नमूना है.
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