अब 12वीं में नहीं मिलेंगे ‘ग्रेस मार्क्स’, CBSE ने खत्म की मॉडरेशन नीति

2017 से सीबीएसई बोर्ड से 12 वीं करने वाले छात्रों को ग्रेस मार्क्स नहीं मिलेंगे. सीबीएसई ने एक अहम फैसले में मॉडरेशन नीति यानी ग्रेस अंक दिए जाने की नीति खत्म करने की घोषणा की है. उच्च स्तरीय बैठक के दौरान यह यह फैसला लिया गया. मॉडरेशन नीति के जरिए बोर्ड परीक्षार्थियों को खास प्रश्नपत्र में कुछ सवालों पर 15 प्रतिशत ज्यादा अंक देती थी.

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अब 12वीं में नहीं मिलेंगे ‘ग्रेस मार्क्स’, CBSE ने खत्म की मॉडरेशन नीति

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  • April 25, 2017 9:13 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : 2017 से सीबीएसई बोर्ड से 12 वीं करने वाले छात्रों को ग्रेस मार्क्स नहीं मिलेंगे. सीबीएसई ने एक अहम फैसले में मॉडरेशन नीति यानी ग्रेस अंक दिए जाने की नीति खत्म करने की घोषणा की है. उच्च स्तरीय बैठक के दौरान यह यह फैसला लिया गया. मॉडरेशन नीति के जरिए बोर्ड परीक्षार्थियों को खास प्रश्नपत्र में कुछ सवालों पर 15 प्रतिशत ज्यादा अंक देती थी.
 
एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार एचआरडी मंत्रालय ने 12 अप्रैल को तय किया था कि वो छात्रों को दिये जा रहे ग्रेस मार्क्स को हटाने के लिए राज्यों से चर्चा करेगा. सोमवार को एचआरडी मंत्रालय में सचिव अनिल स्वरूप के नेतृत्व में हुई बैठक में अलग-अलग राज्यों और बोर्ड्स के शिक्षा सचिव और चेयरपर्सन्स ने हिस्सा लिया.  
 
मॉडरेशन नीति के तहत बोर्ड परीक्षार्थियों को खास प्रश्नपत्र में कुछ सवालों पर 15 प्रतिशत ज्यादा अंक देती थी. हालांकि अगर कोई छात्र कुछ नंबर से परीक्षा पास करने से बंचित रह जाता है तो ऐसे में ग्रेस अंक देकर पास करने का प्रावधान जारी रहेगा.
 
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन ने एमएचआरडी से मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म किए जाने की अपील की थी. बताया जा रहा है कि पिछले कई साल में छात्रों को मॉडरेशन पॉलिसी की वजह से लगभग 8 से 10 अंक तक अधिक मिले, इस कारण 95 फीसदी और इससे अधिक अंक स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स की सख्यां बहुत बढ़ गई. 
 
सीबीएसई में साल 2006 में 384 स्टूडेंट्स को 95 फीसदी और उससे अधिक अंक मिले जबकि यह संख्या साल 2014 में बढ़कर 8971 तक पहुंच गया. ऐसे में कॉम्पिटीशन लेवल बहुत बढ़ गया.

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