सुकमा हमले की पूरी कहानी, CRPF के 25 जवान शहीद, 7 लापता

सुकमा: नक्सलियों ने एक बार फिर कायराना हमला किया है. छत्तीसगढ़ के सुकमा में 300 नक्सलियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर हमला किया. हमले में 25 जवान शहीद हो गए, जबकि एक कंपनी कमांडर समेत 7 जवान लापता है.
इस तरह हुआ हमला
बता दें कि सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के जवान बुरकापाल में बन रही सड़क के काम में सुरक्षा देने के लिए जा रहे थे. जैसे ही ये जवान चिंतागुफा के करीब पहुंचे एक जबरदस्त धमाका हुआ. धमाके के बाद जवान संभल भी नहीं पाए थे कि उन पर दोनों तरफ से अंधाधुंध गोलीबारी होने लगी. कुछ जवानों ने नक्सलियों पर जवाबी फायरिंग भी की लेकिन नक्सलियों की तादाद ज्यादा थी और उन्होंने पहले से मोर्चा भी संभाल रखा था.
बताया जा रहा है कि घात लगाकर किए गए इस हमले में करीब 300 नक्सली सामिल थे जिन्होंने सीआरपीएफ के 90 जवानों को निशाना बनाया. हमला करने वालों में महिला नक्सलियों की तादाद भी अच्छी-खासी थी. हमले के बाद मची अफरा-तफरी में नक्सलियों ने जवानों की राइफलें भी लूट लीं.
सूत्रों के मुताबिक इस हमले को नक्सली कमांडर हिडमा ने अंजाम दिया है. हमले की वजह बुरकाबपाल में बन रही सड़क को बताया जा रहा है. नक्सली इस सड़क का लगातार विरोध कर रहे थे. उन्हें डर था कि अगर सड़क बन गई तो सुरक्षा बल सीधे उनके गढ़ तक पहुंच जाएंगे.
इस बीच पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि हमें सीआरपीएफ के जवानों के शौर्य पर गर्व है. शहीदों की कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी. घायलों को हेलीकॉप्टर से रायपुर लाया गया है. जबकि कोबरा बटालियन को नक्सलियों पर जवाबी कार्रवाई के लिए भेजा गया है. बताया जा रहा है कि नक्सलियों की कोबरा बटालियन के जवानों से मुठभेड़ भी हुई है. पूरा देश नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है.
नक्सलियों का हेडक्वार्टर सुकमा !
बता दें कि पिछले ही महीने 11 तारीख को सुकमा के भेज्जी इलाके में नक्सलियों ने धमाका किया था जिसमें गश्त पर निकले 12 CRPF जवान शहीद हो गए थे. नक्सली उनके हथियार भी लूट कर ले गए थे. नक्सलियों ने दिसंबर 2014 में भी सीआरपीएफ के जवानों पर भीषण हमला किया था. ये हमला भी सुकमा जिले के चिंतागुफा इलाके में हुआ था. हमले में 14 जवान शहीद हुए थे और 12 घायल हो गए थे. ये वही इलाका है, जहां 2010 में नक्सली हमले में 76 जवान शहीद हो गए थे.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि नक्सलियों ने इस हमले को पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया. हमला करने से पहले उनकी नजर सीआरपीएफ के जवानों पर थी. जवान जब सड़क के दोनों तरफ बंट गए और झाड़ियों की वजह से एक दूसरे को देख पाना मुमकिन नहीं था. तब उन पर हमला किया गया.
बताया जा रहा है कि जवानों की एक टोली ने खाना खाने के लिए किसी जगह पर ठहरने का फैसला किया था. नक्सलियों ने जवानों की अलर्टनेस में कमी का फायदा उठाया और हमला बोल दिया. इस बीच, इस हमले ने नक्सलियों से निपटने में केंद्र सरकार की तैयारियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.
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