नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के साथ हुए ताजा एनकाउंटर में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए हैं और 6 जवान लापता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक शहीद हुए जवान सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन के थे.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में माओवादियों ने दो महीने के भीतर ही दूसरी बड़ी वारदात को अंजाम दिया है. ये जवान सड़क निर्माण के दौरान सुरक्षा में लगे हुए थे. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नक्सलियों ने पहले यहां आइईडी ब्लास्ट किया और फिर एंबुश लगाकर अंधाधुंध फायरिंग की जिसमें 9 जवान मौके पर ही शहीद हो गए.
ये जवान सड़क निर्माण के दौरान सुरक्षा में लगे हुए थे. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नक्सलियों ने पहले यहां आइईडी ब्लास्ट किया और फिर एंबुश लगाकर अंधाधुंध फायरिंग की जिसमें 9 जवान मौके पर ही शहीद हो गए.
इससे पहले 11 मार्च को भी नक्सलियों ने सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन पर हमला बोला था. इसमें 12 जवान शहीद हो गए थे.
एंबुलेंस पर हमला
12 अप्रैल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भी नक्सलियों ने हमला किया. बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले में पहली बार नक्सलियों ने एंबुलेंस को अपना निशाना बनाया. जिससे एंबुलेंस में सीआरपीएफ के 5 जवानों समेत एंबुलेंस चालक और कंपाउंडर की भी मौत हो गई थी.
11 मार्च 2014 को झीरम घाटी के नजदीक नक्सलियों ने हमला किया. इसमें 15 जवान शहीद हुए थे और एक ग्रामीण की मौत हो गई थी. इतना ही नहीं नक्सलियों ने इस हमले के बाद एक शहीद जवान के शव में आईईडी फिट कर दिया था ताकि जब जवान शव को उठाने आएं तो ब्लास्ट हो जाए और जवानों को नुकसान हो. लेकिन नक्सलियों की ये चाल कामयाब नहीं हो पाई और शव उठाने से पहले ही बम डीएक्टिवेट कर दिया गया था.
कांग्रेस पार्टी पर हमला
25 मई 2013 को नक्सलियों ने झीरम घाटी में परिवर्तन यात्रा पर निकले कांग्रेस पार्टी पर हमला बोल दिया था. पार्टी के काफीले को रोकने के लिए नक्सलियों ने सड़क पर ब्लास्ट भी किया. जिससे सड़क पर 10 फीट गहरा गड्ढा हो गया था. इसके बाद नक्सलियों की अंधाधुंध फायरिंग में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, तत्कालीन पीसीसी चीफ नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल समेत 30 से ज्यादा कांग्रेसी मारे गए थे.
6 अप्रैल 2010 को दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में नक्सलियों का बड़ा हमला हो चुका है. इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे.