नई दिल्ली: यमुना की सफाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक नया फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यमुना के सफाई मामले को एनजीटी में ट्रांसफर करते हुए कहा है कि अब इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में नहीं, बल्कि एनजीटी में होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कहा है कि दो समानांतर अदालतों में एक ही मामला एक साथ नहीं चल सकता. आपको बता दें कि ये मामला 23 साल पुराना है, जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी दोनों कर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम संतृष्ट है कि एनजीटी इस मामले की सुनवाई कर समय समय पर आदेश दे रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर एनजीटी में मामले की सुनवाई के दौरान कोई संवैधानिक सवाल खड़ा होता है, तो एमिकस सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकते हैं. उस अर्जी पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट जल्द से जल्द करेगा.
आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामला 1994 से चल रहा है और अब 2017 आ गया है. आप नालों के लिए ट्रीटमेंट प्लांट तो छोड़िए उन्हें जोड़ने का काम भी नहीं कर पाए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि यमुना की सफाई को लेकर अब तक कितना पैसा खर्च हुआ है ? ये जानकारी दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड के वकील को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा मामले कि सुनवाई आधे घंटे से हो रही है और आप कह रहे हैं कि आपको निर्देश नहीं मिला.
क्या आप यहां वो सुनने बैठे हैं, जो एमिकस बहस कर रहे हैं. ये पूरी तरह से कोर्ट का समय बर्बाद करना करना है. कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड के वकील को कहा कि माफ़ी का मतलब क्या होता है? आज आप माफी मांग रहे हैं, अगली सुनवाई में फिर माफ़ी मांगेंगे.
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड ड्रेन प्रोजेक्ट के इंजिनियर वी के गुप्ता को 2 हफ्ते में सीवर प्रोजेक्ट को लिंक करने को लेकर मौजूद स्थिति बताने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि जो भी करवाई चल रही है, उसकी रिपोर्ट पेश करें. जो भी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल होगी, उसको पहले दिल्ली जल बोर्ड के सदस्य आर एस त्यागी सत्यापित करेंगे.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 1994 से यमुना के मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है. उस वक्त एक अखबार ने मैली यमुना पर एक लेख प्रकाशित किया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था.