नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अब अपराधियों और भ्रष्टाचारियों पर ढाई किलो का हाथ पड़ेगा. कहने का मतलब ये कि योगी सरकार अब राज्य में करप्शन और काले धंधे वालों के खिलाफ सबसे कड़ी कार्रवाई की मुहिम में जुट गई है. इसके तहत उन बड़ी मछलियों को निशाना बनाया जाएगा जिनकी शह पर राज्य में सालों से लूट-खसोट का काम चल रहा है.
करीब पांच हफ्ते के शासन में योगी सरकार ने न सिर्फ कई बड़े फैसले लिए बल्कि ताबड़तोड़ कारर्वाई करके पूरे उत्तर प्रदेश में हलचल मचा दी. इतने कम समय में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश में विकास से लेकर भ्रष्टाचार तक तमाम ऐसे बड़े मसलों पर बड़े ऐक्शन लिए हैं जिनका राज्य की जनता से सीधा सरोकार है.
योगी सरकार उन बड़ी मछलियों को निशाना बनाए जिनके चलते उत्तर प्रदेश में विकास और खुशहाली के तमाम रास्ते कुंद हो गए हैं. अब योगी सरकार की हिटलिस्ट में खनन माफियाओं का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है. जो सालों से नहीं बल्कि कई दशकों से सरकार और सिस्टम के लिए सिरदर्द बने हुए हैं.
कहते हैं उत्तर प्रदेश में खनन माफिया की समानांतर सरकार चलती है यानी सरकार चाहे किसी की हो पर ये माफिया सिंडिकेट अपनी ही मनमानी करते हैं. उत्तर प्रदेश में खनन विभाग को एक तरह से सरकार का पर्स कहा जाता है. इसकी वजह सिर्फ ये नहीं कि राज्य में इस प्राकृतिक संपदा की भरमार है. बल्कि इसलिए क्योंकि यहां जब जितना चाहो उतना कमाने की गारंटी है.
नदी किनारे के सारे तीर्थ स्थल खनन माफियाओं के लिए भी तीर्थ स्थल बन गए हैं. पुलिस, प्रशासन और खनन विभाग की मिलीभगत से माफिया सिंडिकेट रोजाना लाखों टन बालू और गिट्टी की अवैध खुदाई कर लेते हैं. यूपी में अवैध खनन का कारोबार करीब 1,000 करोड़ रुपये का है. हर महीने करीब 100 करोड़ रुपए तक का अवैध खनन होता है, रेत से भरे एक ट्रक की कीमत 5 से 6 हजार रुपए तक होती है. जबकि रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली की कीमत 2 से 3 हजार रुपए होती है.
ये आंकड़े हम इसलिए दिखा रहे हैं ताकि आप समझ सकें कि यूपी में खनन माफिया की काली कमाई कितनी ज्यादा है. इनकी हद पूर्वांचल से लेकर नोएडा तक है. वाराणसी, मिर्जापुर और सोनभद्र जैसे जिलों में ये अवैध कारोबार सबसे ज्यादा फलता फूलता रहा है. यहां पहाड़ियों पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर लगातार पत्थर तोड़े जा रहे हैं.
इस क्षेत्र में करीब 400 से भी ज्यादा क्रशर प्लांट देखे जा सकते हैं. इन प्लांटों से रोजाना 3 हजार तक गिट्टी की ट्रकें निकलती हैं. पहाड़ों पर अवैध खनन करीब 40 फीसदी है. खास बात ये पिछले कुछ दशकों में उत्तर प्रदेश में सरकार चाहे किसी की भी रही हो पर खनन माफिया का खुला खेल कभी नहीं बंद हुआ.
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