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25 मई तक तमिलनाडु के किसानों ने स्थगित किया प्रदर्शन, कहा- फिर लौटेंगे

दिल्ली के जंतर-मंतर पर 40 दिनों से प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसानों ने 25 मई तक अपना प्रदर्शन स्थगित करने की घोषणा की है. किसानों का कहना है कि अगर हमारी मांगे पूरी नहीं की गईं तो वे फिर से प्रदर्शन करने दिल्ली आएंगे. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी ने आज मुलाकात की.

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  • April 23, 2017 3:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: दिल्ली के जंतर-मंतर पर 40 दिनों से प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसानों ने 25 मई तक अपना प्रदर्शन स्थगित करने की घोषणा की है. किसानों का कहना है कि अगर हमारी मांगे पूरी नहीं की गईं तो वे फिर से प्रदर्शन करने दिल्ली आएंगे. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी ने आज मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि वह किसानों की समस्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे.
 

पलानीसामी ने किसानों से अनशन खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर पीएम मोदी से बात करेंगे और किसानों की समस्याओं पर उनसे बात करेंगे. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री आज नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए हैं. प्रदर्शन स्थल पर मौजूद किसान अय्यकानु ने कहा, ‘अगर हमारी मांगे नहीं मानी गईं तो हम 25 मई से प्रदर्शन करेंगे. हमें अगर टिकट मिला तो हम आज लौट जाएंगे.
 
बता दें कि केंद्र सरकार से सूखा राहत पैकेज की मांग करते हुए तमिलानाडु के किसान पिछले 40 दिनों से दिल्ली के जंतर-मंतर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 100 की संख्या में विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान हरी लुंगी पहन कर जंतर-मंतर में डेरा जमाए हुए हैं. 
किसानों ने विरोध का अलग ही तरीका अपनाया है. उन्होंने शनिवार को मूत्र पीकर सरकार का विरोध जताया था.
 
 
100 की संख्या में विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान हरी लुंगी पहन कर जंतर-मंतर में डेरा जमाए हुए हैं, वह कभी नरमुंड लेकर प्रदर्शन करते हैं तो कभी जमीन पर लोट-पोट होकर अपनी मांग सरकार के सामने रखते हैं. कभी मरे हुए सांपों को मुंह में लेकर विरोध प्रदर्शन करते हैं तो कभी मुंह में काला कपड़ा बांधकर.
 
 
इन किसानों की मांग है कि केंद्र इन्हें 40 हजार करोड़ का सूखा राहत पैकेज दे और साथ में कर्जा भी माफ कर दिया जाए. उनकी फसल कई बार आए सूखे और चक्रवात में बर्बाद हो चुकी है. किसानों की यह भी मांग है कि उनको अगली साल के लिए बीज खरीदने दिए जाएं और हुए नुकसान की भरपाई की जाए.
 
 
किसानों का कहना है कि बैंकों और स्थानीय कर्जदाताओं के कर्जे से किसान तंग आ चुके हैं इसी वजह से कई किसानों ने कर्जा न चुका पाने की वजह से विवश होकर आत्महत्या भी कर ली है. रिपोर्ट्स हैं कि पिछले 4 महीनों में करीब 300 किसानों ने आत्महत्या की है.

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