अनजाने में अगर हो जाता है धर्म का अपमान तो नहीं माना जाएगा अपराध: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर अनजाने में कोई किसी धर्म का अपमान कर देता है तो उसे अपराध में नहीं माना जाएगा. कोर्ट ने कहा कि ऐसा होने में उस व्यक्ति के खिलाफ मामला नहीं चलाया जाना चाहिए, क्योंकि यह कानून का उल्लंघन माना जाएगा.

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अनजाने में अगर हो जाता है धर्म का अपमान तो नहीं माना जाएगा अपराध: सुप्रीम कोर्ट

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  • April 22, 2017 9:09 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर अनजाने में कोई किसी धर्म का अपमान कर देता है तो उसे अपराध में नहीं माना जाएगा. कोर्ट ने कहा कि ऐसा होने में उस व्यक्ति के खिलाफ मामला नहीं चलाया जाना चाहिए, क्योंकि यह कानून का उल्लंघन माना जाएगा.
 
कानून की धारा 295 ए के गलत इस्तेमाल पर कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए यह बात कही. इस कानून के तहत धार्मिक भावनाओं को भड़काने के मामले में अगर आरोप साबित हो जाता है तो कम से कम तीन साल की सजा हो सकती है. 
 
तीन जजों की बेंच ने कहा, ‘बिना मकसद के अगर किसी व्यक्ति से गलती में या अनजाने में किसी धर्म का अपमान हो जाता है तो ऐसे में मालमा अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा.’ कोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को राहत मिलेगी जो जबरन ही किसी राजनीतिक कार्यकर्ताओं या जानबूझकर निशाना बनाने वालों के शिकार हो जाते हैं.
 
सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है जिसमें धोनी ने अपने ऊपर लगे धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में केस चलाए जाने को चुनौती दी थी. यह मामला साल 2013 का है जब एक मैग्जीन में धोनी को भगवान विष्णु के रूप में पेश किया गया था. इसके बाद धोनी के खिलाफ लोगों की धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में आंध्र प्रदेश के अनंतपुर कोर्ट ने जनवरी 2016 में गैरजमानती वारंट जारी किया था.
 
बता दें कि बंगलूरु में धोनी के खिलाफ एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और अपमान करने के आरोप में आईपीसी की धारा 295 व 34 के अंतर्गत मामला दर्ज किया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में धोनी के ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया है. 

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