नई दिल्ली: एक ओर जहां प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को लेकर लगातार विरोध हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर प्रोफेशनल कॉलेजों में भी फीस को लेकर आना-कानी की जा रही है. दरअसल उत्तरप्रदेश की गलगोटिया यूनिवर्सिटी में फीस रिफंड को लेकर हमारे पास एक मामला सामने आया है.
दिल्ली के लक्ष्मी नगर के निवासी पीके त्रिपाठी का आरोप है कि ग्रेटर नोएडा स्थित गलगोटिया कॉलेज ने उनकी तरफ से फीस रिफंड के लिए आवेदन किए जाने के बावजूद फीस वापस नहीं की है. इस पूरे मामले में हमने पीके त्रिपाठी से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि जुलाई से लेकर अब तक कई बार फीस रिफंड के लिए आवेदन किया जा चुका है लेकिन कॉलेज अब नहीं तब कहकर मामला टाल दे रहा है.
यह मामला सामने आने के बाद
InKhabar.com ने कॉलेज के सीईओ ध्रुव गलगोटिया से भी संपर्क करने की कोशिश की तो उनकी सेक्रेटरी ने कहा कि वो बिजी हैं आप उन्हें मेल कर दें फिर उनका जवाब आ जाएगा. हमारी तरफ से कई बार मेल करने के बाद भी उनकी तरफ से से कोई जवाब नहीं आया.
ताज्जुब की बात है कि यूजीसी की गाइडलाइन में यह साफ-साफ लिखा है कि अगर सेशन शुरू होने से पहले स्टूडेंट एडमिशन कैंसल कराता है तो यूनिवर्सिटी एक हजार रुपए से ज्यादा फीस डिडक्ट नहीं कर सकती है.
ये है पूरा मामला-
पीके त्रिपाठी ने गोलगोटिया युनिवर्सिटी में इंजनीयरिंग में अपने बेटे नीलकंठ त्रिपाठी का एडमिशन 16 जुलाई 2016 को कराया था. जिसके तहत उन्होंने पूरी फीस (1 लाख 59 हजार) भी जमा कर दी थी. उसके बाद उन्हें किसी दूसरे कॉलेज में सीट मिल जाने के बाद उन्होंने बेटे का एडमिशन वहां करा दिया. फिर त्रिपाठी जी ने 25 जुलाई 2016 को फीस रिफंड के लिए आवेदन किया तो कॉलेज के अधिकारी अब होगा तब होगा करके टालते रहे. लगभग 10 महीने बीत चुके हैं कॉलेज का अभी तक यही रवैया है.
क्या कहता है यूजीसी का नियम-
नियमों की बात करें तो यूजीसी ने कुछ महीने पहले प्रवेश के समय दस्तावेजों के सत्यापन, फीस के भुगतान और रिफंड को लेकर यह नियम जारी किए थे. इस नियम के अनुसार अगर छात्र एडमिशन लेने के 15 दिन के अंदर इससे इनकार कर देता है तो उसे पूरी फीस वापस की जाएगी या फिर एक हजार रुपए से ज्यादा फीस नहीं जब्त कर सकती. यूजीसी की गाइजलाइन्स में साफ लिखा है कि यूनिवर्सिटी अपने प्रॉसेसिंग शुल्क के अलावा कोई दूसरी फीस नहीं ले सकती है.
इसके अलावा अगर कोई छात्र किसी सेमेस्टर या साल में पढ़ना चाहता है तब ही उससे एडवांस फीस ली जा सकती है. यह नियम अंडरग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और रिसर्च प्रोग्राम सभी कॉर्स और सभी यूनिवर्सिटी/कॉलेज पर लागू होगा. यह नियम तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं.
यूनिवर्सिटी को इस तरह लाखों का होता है फायदा-
इस बारे में सभी लोग जानते हैं कि गलगोटिया यूनिवर्सिटी के इन कोर्सों की फीस लाखों रुपए से कम नहीं है. खासकर प्रोफेशनल कोर्स की बात करें तो उनमें बच्चों की दिलचस्पी ज्यादा होती है. इसलिए इन कोर्स में हजारों बच्चे एडमिशन भी लेते हैं. जिनमें से सैकड़ों बच्चे कोर्स में एडमिशन लेने के बाद छोड़ देते हैं. ऐसे में अगर उनकी फीस रिफंड नहीं होती है तो पूरा रुपया यूनिवर्सिटी के खाते में चला जाता है. जोकि पूरी तरह से गलत है.