नई दिल्ली: जवाब तो देना होगा में स्कूलों की मनमानी के ख़िलाफ़ हमारी मुहिम में आज सवाल उन स्कूलों से जो फ़ीस न देने की मां-बाप की मजबूरी भांपते हीं उनके बच्चों को निकालने पर आमादा हो जाते हैं. ये एक स्कूल का हाल नहीं है पर वो स्कूल जो नो प्रॉफिट नो लॉस पर चलने चाहिए वो एक बच्चे के लिए भी इतने क्रूर कैसे हो सकते हैं, हमारा सीधा सवाल यही है आज.
स्कूलों के भी खर्चे हैं.. स्कूल चलाने के लिए भी पैसे चाहिए.. सही बात है.. लेकिन क्या एक बच्ची जिसके पिता की मौत हो चुकी हो और मां की सैलरी ना आ रही हो उसे फीस देने की मोहलत तक नहीं दी जा सकती. इतना ख़ौफ़ मां-बाप के अंदर क्यों भर रहे हैं स्कूल. दूसरी तरफ़ एक पिता ऐसा जिसने पैसे की कमी की वजह से बच्चे की स्कूल फीस कम करने की मदद मांगी तो बच्चे को री एडमिशन देने से ही मना कर दिया गया.
ऐसे अमानवीय स्कूल बच्चों को मानवीयता कैसे सिखाएंगे. इन दोनों अभिभावकों का दर्द आज आपके सामने औऱ उन हुकमरानों के सामने रखेंगे और पूछेंगे कि देश की शिक्षा व्यवस्था कहां जा रही है लेकिन पहले दिखाते हैं पीएम मोदी और सीएम योगी के लिए एक बच्ची का वो दर्द जो फीस न भर पाने की वजह से स्कूल ने उसे दिया है.
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