नई दिल्ली: बाबरी विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने आज लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित 13 अन्य नेताओं पर आपराधिक साजिश रचने का मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया है.
आज इस केस में आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लखनऊ कोर्ट को 4 हफ्ते में इस मामले की सुनवाई शुरू करनी होगी. साथ में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि जब तक कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल हैं तब तक उन पर कोई केस दर्ज नहीं हो सकता है. जिन 13 लोगों पर ये मुकदमा चलेगा उसमें एलके आडवाणी, उमा भारती के साथ-साथ साध्वी ऋतम्भरा, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल, मृत गिरिराज किशोर के नाम भी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने 6 अप्रैल को सभी पक्षों की दलीलें सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या ढांचा के मुकदमें की सुनावाई 25 साल से लंबित होने पर चिंता जताते हुए टिप्पणी किया था.
कोर्ट ने कहा था कि मामले की रोजाना सुनवाई कर दो साल में निपटा देना चाहिए. इसके सात ही कोर्ट ने आडवाणी, जोशी सहित अन्य नेताओं का मुकदमा रायबरेली की अदालत से लखनऊ की अदालत में शिफ्ट करने और संयुक्त आरोप पत्र के आधार पर एक साथ मुकदमा चलाने के संकेत भी दिए थे.
इस मामले पर नजर डाले तो सीबीआी ने हाईकोर्ट के 20 मई 2010 के आदेश को चुनौती दी है. इनमें कुल 21 नेताओं को पहले ही आरोप मुक्त कर दिया गया है. अब इसमें आडवाणी-जोशी सहित 8 नेताओं पर रायबरेली की अदालत में मुकदमा चल रहा है.
नेताओं की दलील
नेताओं के वकीलों ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि इनके मुकदमा को रायबरेली से हटाकर लखनऊ स्थानांतिरत नहीं हो सकता है और ना ही उन पर साजिश का केस चलाया जा सकता है. अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करके भी ऐसा नहीं किया जा सकता है. ऐसा करने पर उनके मौलिक अधिकारों का हनन होगा. साथ में अगर मुकदमा रायबरेली से लखनऊ शिफ्ट हुआ तो भी उसे 2 साल में निपटाना मुश्किल है.