नई दिल्ली. बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपए को दबाकर लंदन भाग जाने वाला भगोड़ा विजय माल्या केंद्र की मोदी सरकार के लिए किरकिरी बन गया था. जिस रात विजय माल्या लंदन भागे थे उसी समय से कांग्रेस सहित समूचा विपक्ष सरकार पर मिली भगत का आरोप लगा रहा था.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उसके बाद से लगभग हर चुनौती रैली में माल्या के बहाने पीएम मोदी पर निशाना साधना शुरू कर दिया और पूरी सरकार को पूंजीपतियों की सरकार बताते थे.
जांच एजेंसियों की आंखों में धूल झोंककर भाग जाने वाले माल्या को लेकर केंद्र और बीजेपी को जवाब देते नहीं बन रहा था. संसद में भी विपक्ष सरकार से जवाब मांगने लगा.
उस समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आश्वासन दिया था कि ब्रिटेन के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है और बहुत जल्द ही माल्या को भारत लाया जाएगा.
फिर मोर्चा संभाला पीएम मोदी
इसके बाद असम में रंगापाड़ा की रैली में पीएम मोदी ऐलान किया कि जेल जाने के डर से सरकारी खजाने के लुटेरे विदेश भाग रहे हैं लेकिन किसी भी डिफाल्टर को बख्शा नहीं जाएगा.
पीएम मोदी के इस ऐलान के बाद से ही विजय माल्या पर शिंकजा कसना शुरू हो गया और कूटनीतिक प्रयास भी तेज कर दिया गया. इसके बाद भारत की ओर से वहां की अदालत में अपील की गई.
जिसका नतीजा रहा कि आज उनको स्टार्कयार्ड की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और उनको थोड़ी देर बाद विस्टमिंस्टर की अदालत में पेश कर दिया जाएगा. इधर सीबीआई की टीम भी लंदन के लिए रवाना हो गई है.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही बंगलोर स्थित उनका किंगफिशर विला और प्राइवेट जेट नीलाम कर दिया गया है. कुल मिलाकर इतना तो तय है कि शानदार लाइफ जीने के आदी हो चुके माल्या के बुरे दिन शुरू हो चुके हैं.
प्रत्यर्पण की सुनवाई शुरू
भारत में 9 हजार करोड़ रुपए डकार जाने वाले माल्या के खिलाफ प्रत्यर्पण के मामले की सुनवाई लंदन की अदालत में शुरू हो गई है. अब कोर्ट तो तय करना है कि उसे प्रत्यर्पित किया जाएगा या नहीं.