नई दिल्ली : राष्ट्रगान का सम्मान न करने वालों के खिलाफ दंडनीय कार्रवाई हो या नहीं इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा. अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि राष्ट्रगान का सम्मान न करने वालं के खिलाफ दंडनीय कार्रवाई होनी चाहिए या नहीं.
याचिकाकर्ता श्याम नारायण चोकसी ने मांग की है कि राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करने वालों के खिलाफ दंडनीय करवाई का प्रावधान है लेकिन राष्ट्र गान को लेकर ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने वंदे मातरम को स्कूलों में अनिवार्य करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के वक्त सम्मान में खड़े होने के आदेश में संशोधन करते हुए ऑटिम, सेरेब्रल पाल्सी, किसी प्रकार की विकलांगता, पार्किंसंस रोग, कुष्ठ रोगी व्यक्ति, मांसपेशीय दुर्विकास से पीड़ित लोगों को छूट दी है.
सुप्रीम कोर्ट 23 अगस्त को ये तय करेगा कि क्या सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के आदेश को वापस लें या नहीं. वहीं केरल फिल्मकारों की ओर से ये कहा गया कि कोर्ट को ये आदेश वापस लेना चाहिए क्योंकि लोगों को इसके लिए विवश नहीं किया जा सकता. कोर्ट को ये तय नहीं करना चाहिए.
केंद्र ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तबका सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के सम्मान के खिलाफ है और वो मौलिक कर्तव्यों को निभाना नहीं चाहते. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि राष्ट्रगान को लेकर कानून बनाया जाना चाहिए क्योंकि अभी तक सिर्फ राष्ट्रीय ध्वज को लेकर ही कानून है.
वहीं राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं. सरकार ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान का समर्थन किया है. महाराष्ट्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर केस में समर्थन दिया है. अर्जी में कहा गया है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रगान के प्रति सम्मान दिखाने के लिए किसी नागरिक को संवैधानिक कोर्ट आना पड़ा है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के साथ दोनों राज्यों को भी पार्टी बनाया
पिछले साल 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान से जुड़े एक अहम आदेश मे कहा था कि देशभर के सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान जरूर बजेगा. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि राष्ट्रगान बजते समय सिनेमाहॉल की स्क्रीन पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना भी अनिवार्य होगा और सिनेमाघर में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना होगा.