स्पेशल फास्ट कोर्ट गठन मामला: SC ने मांगा नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ लंबित मामलों के आंकड़े

नई दिल्ली : स्पेशल फास्ट कोर्ट की गठन की मांग को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय से कहा कि उन्होंने ऐसे मामले जो नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ लंबित हैं उनके आंकड़ें नहीं दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये राज्य सरकार के अधिकार में आता है कि स्पेशल फास्ट कोर्ट का गठन किया जाये या नहीं, इसमें केंद्र सरकार की क्या भूमिका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ लंबित मुकदमों को एक साल में निपटाने के लिए कोर्ट का पहले ही एक फैसला है, ऐसे में स्पेशल फास्ट कोर्ट गठन की जरूरत क्यों है. कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार के जवाब के बिना इस मामले पर कैसे सुनवाई कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि उन्होंने चुनाव सुधार, नेताओं और नौकरशाहों की शैक्षिक योग्यता की भी मांग की है, ऐसे में बिना केंद्र के जवाब के सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं कर सकता. वहीं केंद्र सरकार ने कहा वो आज इस मामले में अपना जवाब दाखिल कर देगी. इस मामले में 12 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.
नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिये स्पेशल फास्ट कोर्ट और सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.
चुनाव सुधारों को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, इससे पहले चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिये स्पेशल फास्ट कोर्ट बनाने की याचिकाकर्ता के मांग का समर्थन किया था.
सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाए जाने का भी समर्थन किया था. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उसने चुनावों में डिक्रिमिनलाइजेशन के लिए कानून मंत्रालय को प्रस्ताव भेजे हैं लेकिन वो अभी पेंडिंग हैं.
हालांकि चुनाव लड़ने के लिये न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा निर्धारित किए जाने की मांग पर चुनाव आयोग का कहना है कि ये उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इसे लेकर विधायी कानून बनाया जा सकता है.
बता दें कि बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में मांग की है कि नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिए स्पेशल फास्ट कोर्ट बनाया जाए. याचिका में ये भी कहा गया है कि सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए.
admin

Recent Posts

गिरिराज सिंह का मुसलमानों पर फूटा गुस्सा, तेवर में बोल गए ऐसी बात, बदमाशों के छूटे पसीने!

बिहार के बेगूसराय में रविवार को संभल में हुई घटना पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह…

35 minutes ago

IPL के इतिहास में ऋषभ पंत बने सबसे महंगे खिलाड़ी, LSG ने 27 करोड़ में खरीदा

लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) ने पंत को 27 करोड़ रुपये में खरीदकर इतिहास रच दिया।…

37 minutes ago

एआर रहमान की वाइफ सायरा ने तलाक को लेकर कही बड़ी बात, सबकी कर दी बोलती बंद

एआर रहमान की वाइफ सायरा बानो ने तलाक को अपनी चुप्पी तोड़ है और कुछ…

1 hour ago

संभल में SP ने उपद्रवियों के लिए की ऐसी अनाउंसमेंट, वायरल हुआ वीडियो

संभल में रविवार को जामा मस्जिद का सर्वे करने गई टीम पर पथराव की घटना…

1 hour ago

Google Map ने दिया ऐसा धोखा, घर की बजाय सीधा पहुंचे श्मशान घाट

बरेली जिले में एक बड़े हादसे की खबर सामने आई है. पुलिस के मुताबिक, हादसा…

2 hours ago

तेजस्वी ने सरकार बनाने का किया दावा, NDA की जीत पर कसा तंज, बिहार में हो सकता है बड़ा खेला

तेजस्वी यादव ने कहा कि इस डबल इंजन की सरकार में एक इंजन भ्रष्टाचार में…

2 hours ago