नई दिल्ली : देश के 55 फीसदी रजिस्टर्ड बूचड़खाने तमिलनाडु (425), मध्यप्रदेश (262) और महाराष्ट्र (249) में चल रहे हैं. ये खुलासा हुआ है आरटीआई से. उत्तर प्रदेश में 58 बूचड़खाने पंजीकृत हैं. सूचना के अधिकार (आरटीआई) से पता चला है कि देश में मात्र 1,707 बूचड़खाने ही पंजीकृत हैं. वहीं पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया का कहना है कि देश में अवैध बूचड़खानों की संख्या 30,000 से ज्यादा है.
आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड को आरटीआई से मिली जानकारी यह चौंकाने वाला खुलासा भी करती है कि आठों राज्यों में ऐसा एक भी बूचड़खाना नहीं है, जिसने केंद्रीय या राज्यस्तरीय लायसेंस ले रखा हो. एफएसएसएआई ने आरटीआई के तहत बताया कि तमिलनाडु में 425, मध्यप्रदेश में 262 और महाराष्ट्र में 249 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं. यानी देश के कुल 55 फीसद पंजीकृत बूचड़खाने इन्हीं तीन सूबों में चल रहे हैं.
आरटीआई अर्जी पर भेजे जवाब में एफएसएसएआई के एक अफसर ने बताया कि अरणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा व नगर हवेली, दमन व दीव, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में एक भी बूचड़खाना खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत नहीं है.
जबकि आंध्रप्रदेश में 1, असम में 51, बिहार में 5, गोवा में 4, गुजरात में 4, छत्तीसगढ़ में 111, दिल्ली में 14, हरियाणा में 18, झारखंड में 11, कर्नाटक में 30, केरल में 50, लक्षद्वीप में 65, मणिपुर में चार, हिमाचल प्रदेश में 82, जम्मू-कश्मीर में 23, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 9 और मेघालय में एक बूचड़खाने को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत किया गया है.