नई दिल्ली: देश की मोक्षदायिनी सात नदियों में से एक नर्मदा है. मध्यप्रदेश के अमरकंटक से निकल कर छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गुजरात से होते हुए अरब सागर में समाहित होने वाली नर्मदा सिर्फ नदी नहीं है, बल्कि मध्य और पश्चिमी भारत की जीवनधारा भी है, जो देश की बाकी नदियों की तरह ही प्रदूषण की बलि चढ़ती जा रही है.
नर्मदा को बचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 11 दिसंबर 2016 से एक बड़ी मुहिम शुरू की, जिसे नर्मदा सेवा यात्रा नाम दिया गया है. किसी भी नदी को बचाने के लिए जनता की भागीदारी वाला ये दुनिया का सबसे बड़ा अभियान है. नर्मदा के उदगम स्थल अमरकंटक से इस अभियान की शुरुआत हुई. कुल 144 दिनों तक चलने वाली नर्मदा सेवा यात्रा अब जबलपुर पहुंच चुकी है.
नर्मदा सेवा यात्रा मध्यप्रदेश के 16 जिलों के उन 6 सौ गांवों से गुजर रही है, जो नर्मदा के किनारे बसे हैं. इसका मकसद ही यही है कि नर्मदा के किनारे बसे गांव-कस्बे और शहरों के लोगों को ये समझाया जा सके कि नर्मदा का संरक्षण उनके अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए क्यों ज़रूरी है.
नर्मदा के साथ हिंदुओं की आस्था जुड़ी है, लेकिन नर्मदा सेवा यात्रा में हर धर्म, हर जाति और हर क्षेत्र के लोगों को जोड़ा गया है, क्योंकि नर्मदा सबकी है. इस अभियान में अगर स्थानीय लोग जुड़े हैं तो अलग-अलग धर्मों के धर्मगुरु भी. नर्मदा सेवा यात्रा में फिल्मी सितारे भी हिस्सा ले रहे हैं और खेल जगत के दिग्गज भी. इस अभियान में जनता की दिलचस्पी बनी रहे, इसी सोच के साथ नर्मदा सेवा यात्रा अब जन-जन के महोत्सव में बदल गई है.
अब तक नदियों को बचाने के लिए जितनी भी कार्यक्रम चलाए गए, उनमें या तो नौकरशाहों को जिम्मेदारी सौंपी गई या फिर पर्यावरण विशेषज्ञों को, लेकिन नर्मदा सेवा यात्रा के लिए बनाई गई 50 लोगों की कोर टीम में पर्यावरण विशेषज्ञ, नदी और जल संरक्षण विशेषज्ञ, जैविक खेती के विशेषज्ञ और कृषि विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है, ताकि लोगों को समझाया जा सके कि नर्मदा को नुकसान पहुंचाए बिना नर्मदा को रोज़ी-रोजगार के लिए वरदान कैसे बनाया जा सकता है.
नर्मदा को बचाने में आम लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के साथ-साथ लोगों को सक्रिय भागीदारी निभाने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. इसके लिए नर्मदा सेवक के रूप में वॉलंटियर्स तैनात किए जा रहे हैं और अब तक 74 हजार से ज्यादा लोगों ने खुद को नर्मदा सेवक के रूप में इस अभियान को समर्पित किया है.
प्रदूषण से बेहाल गंगा और यमुना का हाल देखकर ही नर्मदा सेवा यात्रा की रूपरेखा बनाई गई, ताकि नर्मदा को प्रदूषण के विनाश से बचाया जा सके. अब इस अभियान की कामयाबी देखकर ये उम्मीद बंधी है कि नर्मदा सेवा यात्रा गंगा और यमुना ही नहीं, बल्कि देश की सभी नदियों के संरक्षण की राह दिखाएगी.
(वीडियो में देखें पूरा शो)