लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मिली करारी हार के बाद मायावती की राजनीति में जबरदस्त बदलाव आया है. परिवारवाद को लेकर तमाम दलों को कोसने वाली मायावती ने आज अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाने का ऐलान कर दिया. आज भले ही मायावती बीएसपी सुप्रीमो के नाम से मशहूर हैं. लेकिन एक समय था जब पार्टी के सर्वेसर्वा कांशीराम हुआ करते थे.
मायावती ने अपने खून पसीने से पार्टी को खड़ा किया. ये और बात है कि बरसों तक मायावती भी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलती रहीं. तब कांशी राम पार्टी के अध्यक्ष थे और मायावती पार्टी की उपाध्यक्ष हुआ करती थीं. आज मायावती ने वही उपाध्यक्ष पद अपने भाई आनंद को देने का ऐलान किया. लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी लगा दीं.
इन शर्तों के साथ बनाया उपाध्यक्ष
आनंद कुमार निःस्वार्थ भाव से बीएसपी के लिए काम करेंगे
वो कभी सांसद, विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे
SP को नहीं कोई समस्या
मायावती के इस फैसले पर उनसे करीबी बढ़ाने की बात कर चुकी समाजवादी पार्टी को ऐतराज नहीं है. समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा है कि सपा पहले दिन से ही सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ आने की पैरवी कर रही है. हमारी पार्टी को उनके भाई को उपाध्यक्ष बनाने पर कोई ऐतराज नहीं, सब लोग यही करते हैं.
‘BJP के लोग सबसे ज्यादा अमीर’
आनंद कुमार के क्लर्क से करोड़पति कारोबारी बनने का सफर विवादों से घिरा रहा है. हालांकि, मायावती इन सारे आरोपों को बीजेपी की चाल बताती हैं. मायावती ने कहा कि अगर यूपी के सबसे ज्यादा अमीर लोगों की लिस्ट बनाई जाए तो पहले 100 लोगों में सबसे ज्यादा नाम बीजेपी के लोगों का आएगा.
कौन हैं आनंद कुमार ?
मायावती के भाई आनंद कुमार पर आय से ज्यादा संपत्ति रखने का आरोप लगा हुआ है. इसको लेकर आयकर विभाग और ईडी जांच कर रहा है. कुमार की कम्पनियों पर आयकर विभाग लगातार छापे मार रहा है. पिछले शुक्रवार को भी आयकर विभाग ने कुमार से जुड़ी फर्मों पर जांच के लिए छापा मारा था.
आनंद अपनी बहन मायावती से छोटे हैं. आनंद कभी नोएडा में क्लर्क हुआ करते थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2007 से पहले आनंद की एक कंपनी थी, लेकिन 2007 में प्रदेश में बहन जी की सरकार बनने के बाद आनंद ने लगातार 49 कम्पनियां खोलीं. बीएसपी प्रमुख के भाई आनन्द कुमार की संपति में दिन-दुनी-रात चौगुनी बढ़ोतरी हुई है. जहां 2007 में कुमार 7.5 करोड़ के मालिक थे, वहीं साल 2014 में उनकी संपति बढ़कर 1,316 करोड़ रुपए हो गयी थी.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि मायावती के भाई आनंद पर आय से अधिक संबंधी समेत कई मामले चल रहे हैं. दूसरी तरफ छोटे भाई होने की वजह से आनंद कुमार मायावती के बेहद करीब हैं. मायावती ने उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाकर राजनीतिक संरक्षण देने की कोशिश की है. साथ ही परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप ना लगे इसलिए ऐसी शर्त भी रख दी कि वो सासंद, मंत्री और विधायक नहीं बनेंगे. इससे पार्टी के दूसरे नेताओं में असुरक्षा की भावना भी नहीं बढ़ेगी और मायावती अपने भाई को राजनीतिक संरक्षण भी दे सकेंगी.