नई दिल्ली: आम तौर पर बड़े होटलों और रेस्टोरेंट को लेकर ये कहा जाता है कि वहां जाने वाले लोग जितना खाते नहीं उससे ज्यादा खाना कचरे के डब्बों में फेंक दिया जाता है. इससे अनाज के साथ-साथ पैसों की भी बर्बादी होती है. इसी बर्बादी को रोकने के लिए मोदी सरकार एक्शन में आ गई है.
पीएम मोदी ने क्या कहा ?
खाने की बर्बादी पर पीएम मोदी ने कहा कि खाना खाने के बाद जो हम छोड़ देते हैं, उसे हम खाने की कितनी बर्बादी कर देते हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि बचा हुआ खाना न छोड़ें तो इससे कितने गरीबों का पेट भर सकता है. दरअसल खाने की बर्बादी को लेकर पीएम के मन की बात को केन्द्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने अमली जामा पहनाने की कवायद भी शुरू कर दी है.
मंत्रालय की योजना है कि बड़े होटल और रेस्टोरेंट के मेन्यू में खाने की मात्रा लिखी जाए, जिससे ग्राहकों को अपनी भूख के हिसाब से खाने का ऑर्डर करने में सहूलियत हो. यानी अगर एक प्लेट में कोई रेस्टोरेंट 6 इडली परोसता है और किसी ग्राहक की भूख 3 इडली से ही मिट जाती है तो वो मेन्यू में 3 इडली वाली डिश ही ऑर्डर कर सकता है. उपभोक्ता मंत्रालय जल्द ही खाने की मात्रा तय करने के लिए होटल और रेस्तरां मालिकों से राय लेगा.
कैसे लागू होगा नियम?
खाने को लेकर इस नए नियम को बनाने से पहले देशभर में इसे लेकर सर्वे कराया जायेगा. सर्वे आने के बाद सरकारी निर्देश को स्टैंडर्ड होटलों और रेस्टोरेंट पर ही लागू किया जाएगा. नया नियम छोटे होटलों और ढाबों पर लागू नहीं होगा.
कृषि मंत्रालय की एक स्टडी के मुताबिक देश भर में हर साल करीब 6 करोड़ 70 लाख टन खाने की बर्बादी होती है. ये ब्रिटेन के कुल राष्ट्रीय उत्पाद से भी ज्यादा है. जबकि इतना खाना बिहार की कुल आबादी का एक साल तक पेट भर सकता है. 2013 में आई ‘The Immersion Food And Wastage’ रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल 44 हजार करोड़ रुपये का खाना बेकार हो जाता है. अगर ये खाना जरूरतमंदों तक पहुंचे तो देश में किसी को भूखे पेट सोने की नौबत नहीं आएगी.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि भारत समेत पूरी दुनिया में मौत की सबसे बड़ी वजह है भूख. एनजीओ भूख रिलीफ फाउंडेशन का दावा है कि भारत में रोज़ 7 हजार लोग भूख के शिकार हो जाते हैं, ऐसे में सिर्फ होटलों के मेन्यू के चलते हजारों टन खाने की बर्बादी रोक कर हजारों लोगों को भूखे मरने से बचाया जा सकता है.
खाने की बर्बादी रोक कर हजारों लोगों का पेट भरा जा सकता है, ये बात फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन और स्कॉटलैंड जैसे विकसित देशों ने समझी और भोजन की बर्बादी रोकने के लिए नियम-कानून बना दिए हैं और अब मोदी सरकार भी इसी कोशिश में है कि भोजन की बर्बादी हर हाल में रोकी जाए, क्योंकि इससे होटल में खाने वालों की बचत होगी और भोजन बर्बाद होने की बजाय किसी का पेट भरने के काम आएगा.