CBSE के मुताबिक 36-24-36 फिगर वाली लड़कियां होती हैं बेस्ट, सोशल मीडिया पर मचा बवाल

नई दिल्ली: भारत की शिक्षा प्रणाली और उसका पाठ्यक्रम अक्सर विवादों का विषय रहा है. एक बार फिर से किताब में गलत कंटेंट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. फिगर को लेकर किशोरों के अंदर कई तरह से गलत पूर्वाग्रह तो पहले से ही हैं, मगर अब उनके पूर्वाग्रहों को एक किताब ने सही […]

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CBSE के मुताबिक 36-24-36 फिगर वाली लड़कियां होती हैं बेस्ट, सोशल मीडिया पर मचा बवाल

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  • April 12, 2017 3:47 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago

नई दिल्ली: भारत की शिक्षा प्रणाली और उसका पाठ्यक्रम अक्सर विवादों का विषय रहा है. एक बार फिर से किताब में गलत कंटेंट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. फिगर को लेकर किशोरों के अंदर कई तरह से गलत पूर्वाग्रह तो पहले से ही हैं, मगर अब उनके पूर्वाग्रहों को एक किताब ने सही साबित करने का काम किया है. 

दरअसल, सोशल मीडिया पर इन दिनों एक किताब का कंटेंट खूब तेजी से वायरल हो रहा है, लड़कियों के  फिगर को लेकर है. सीबीएसई के 12वीं के फिजिकल एजुकेशन की किताब में लिखा गया है कि जिन लड़कियों का फिगर 36,24,36 होता है, वो सबसे बेस्ट होती हैं.
 
 
हालांकि, इस कंटेंट की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हो रही है. लोगों का कहना है कि अगर सीबीएसई अपनी किताब में इस तरह के कंटेंट परोसेगी, तो फिर बच्चों पर क्या असर पड़ेगा? आखिर सीबीएसई बच्चों को क्या पढ़ाना और सीखाना चाहती है.
 
 
इस किताब में फिजिकल एजुकेशन के नाम पर महिला-पुरुष के शारीरिक अंतर के बारे में बताया गया है. इस किताब में ये साफ-साफ लिखा है कि जिनकी फिगर 36, 24, 36 होती है, वे लड़कियां सबसे बेस्ट होती हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि किताब ने अपनी इस बात को प्रमाणित करने के लिए मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड जैसी प्रतियोगिता में भाग लेने वाली प्रतिभागियों का भी उल्लेख किया है. 
 
 
बताया जा रहा है कि इस किताब को न्यू सरस्वती हाउस ने प्रकाशित किया है और इसके लेखक डॉ. वीके शर्मा हैं. इस किताब में ये भी चैलेंज किया गया है कि इस तरह का फिगर पाना सबके बस की बात भी नहीं. 
 
हालांकि, सीबीएसई या एनसीआरटी की यह कोई आधिकारिक किताब नहीं हैं, मगर फिजिकल एजुकेशन विषय के तौर पर 12वीं कक्षा के बच्चों के ये पढ़ाया जाता है.
 
अब सवाल ये उठता है कि सीबीएसई आखिर बच्चों को ये किस तरह की शिक्षा दी जा रही है. दरअसल फिजिकल एजुकेशन का उद्देश्य छात्रों को फिजिकली फिट रहने के लिहाज से पढ़ाया जाता है. मगर अफसोस कि सीबीएसई न सिर्फ उन्हें गलत शिक्षा दे रही है, बल्कि किशोरों के भीतर एक गलत विचार भी पैदा कर रही है. 
 
आपको बता दें कि किताबों के कंटेंट को लेकर ये कोई पहला मौका नहीं है. इससे पहले भी पहले भी सीबीएसई के पाठ्यक्रम पर सवाल उठ चुके हैं. हाल ही में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शव को जलाने और दफनाने संबंधित एक सवाल विवादों में रहा था. इसके अलावा एनईसीआरटी के पाठ्यक्रम पर भी विवाद हो चुका है.

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