नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक कैंसर मरीज की याचिका पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मोबाइल टावर बंद कराने का आदेश दिया है. ऐसा पहली बार हुआ है जब कोर्ट ने किसी मरीज की याचिका पर टावर को ही बंद कराने का आदेश दिया हो. 42 साल के हरीश चंद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट को इतने बड़े फैसले के लिए मनाने में कामयाबी हासिल की है.
हरीश तिवारी का कहना है कि मोबाइल फोन के टावर से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से उन्हें कैंसर हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने मरीज को राहत देते हुए टावर को ही सात दिन के अंदर बंद कराने का आदेश दे दिया.
ग्वालियर के रहने वाले हरीश तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि उनके पड़ोसी की छत पर साल 2002 से ही मोबाइल का टावर अवैध रूप से लगा हुआ है और टावर से निकलने वाली रेडिएशन पिछले 14 सालों से उन्हें नुकसान पहुंचा रही है.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में बताया कि टावर से निकलने वाली हानिकारक रेडिएशन की वजह से वह ‘हॉजकिन्स लिम्फोमा’ (एक तरह का कैंसर) का शिकार हो गए हैं. हरीश की याचिका पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस नवीन सिन्हा और रंजन गोगोई की बेंच ने बीएसएनएल को 7 दिनों के अंदर टावर बंद कराने का आदेश दे दिया है.