नई दिल्ली : भारतीय नौसेना के पूर्व अफसर कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने जासूस बताकर फांसी की सजा सुना दी है, जिस पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है. पाकिस्तान ने जाधव को रॉ का एजेंट बताकर मौत की सजा सुनाई है.
सजा तो सुना दी गई है लेकिन पाकिस्तान ने जाधव के खिलाफ ना तो कोई सबूत दिया और ना ही भारतीय उच्चायोग को जाधव से मुलाकात की इजाज़त ही दी. ऐसा नहीं है कि जासूस और आतंकवाद के नाम पर पाकिस्तान ने ऐसा पहली बार किया हो.
इससे पहले भी पाकिस्तान की चाल का शिकार कई निर्दोष भारतीय हो चुके हैं. सरबजीत का केस तो हर कोई जानता ही है, लेकिन उसके अलावा भी पाकिस्तान ने भारत से बदला लेने के लिए ऐसे हथकंडे कई बार इस्तेमाल किए हैं.
सरबजीत के केस में भारत कुछ नहीं कर पाया और आखिरकार सरबजीत की पाकिस्तान के जेल में ही मौत हो गई. जाधव की भी गिरफ्तारी के महज एक साल बाद ही उसे मौत की सजा सुना दी गई है, जबकि इस एक साल में भारतीय दूतावास अधिकारियों को जाधव से मिलने की इजाजत भी नहीं दी गई.
सरबजीत नहीं पहुंच सका था घर
पंजाब के तरनतारन जिले का रहने वाला सरबजीत को भी भारत बचा नहीं सका था. कई कोशिशें करने के बाद भी आखिरकार सरबजीत की पाकिस्तान के जेल में ही मौत हो गई थी. साल 1990 में गलती से पाकिस्तान की सीमा पार करने वाले सरबजीत को पाकिस्तान ने 1991 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाके का दोषी बताते हुए फांसी की सजा सुना दी थी.
सरबजीत का नाम एफआईआर में मंजीत सिंह लिखकर पाकिस्तान ने इस चाल को अंजाम दिया था. साल 2008 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने सरबजीत की दया याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद साल 2011 में गलत नाम को आधार बताकर केस फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.
सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने अपने भाई की रिहाई के लिए जी जान एक कर दी थी, लेकिन फिर भी सरबजीत की रिहाई हो नहीं सकी. साल 1991 से ही दलबीर ने लाहौर और दिल्ली को एक कर दिया था, लेकिन रिहाई की लड़ाई के बीच ही अप्रैल 2013 में सरबजीत के ऊपर लखपत जेल में धारदार हथियारों से कई कैदियों ने हमला कर दिया और उनकी मौत हो गई.
एक साल पहले हुई थी जाधव की गिरफ्तारी
पाकिस्तान का कहना है कि कुलभूषण जाधव को बलूचिस्तान के मशकेल इलाके से मार्च 2016 में गिरफ्तार किया गया था, जहां वह भारत के लिए जासूसी कर रहा था. पाकिस्तान ने जाधव को एक वीडियो के आधार पर सजा सुनाई है.
वहीं इस मामले में भारत यह कहता आया है कि जाधव पूर्व नौ सेना अधिकारी हैं और उन्हें पाकिस्तान ने ईरान के नियंत्रण वाले बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया है, जहां वह व्यापार के सिलसिले में गए हुए थे. बता दें कि गिरफ्तारी के वक्त जाधव के पास भारत का पासपोर्ट और ईरान का वीजा भी मिला था. वहीं पाकिस्तान में ईरान के राजदूत ने भी इस दावे को झूठा बताया था कि जाधव रॉ के एजेंट हैं.
भारत उठा सकता है यह कदम
भारत चाहे तो हेग की अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में इस मामले को लेकर जा सकता है, लेकिन ये पाकिस्तान के साथ रिश्तों को अंतरराष्ट्रीय दखल से दूर रखने वाली नीति के विरोध में होगा, इसलिए इस कदम की संभावना कम ही है. भारतीय दूतावास ने एक साल में जाधव से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन इसकी इजाजत नहीं दी गई.
अब पाकिस्तान ने जब सजा का ऐलान कर दिया है तो भारत ने इस मामले में कड़ा विरोध जताते हुए पाक हाई कमिश्नर अब्दुल बासित को तलब करते हुए इस फैसले को सुनियोजित हत्या बताया है. विदेश सचिव एस जयशंकर ने बासित को विरोध पत्र सौंपते हुए बगैर सबूत के सजा सुनाए जाने पर आपत्ति जताई.
पत्र में लिखा गया है कि भारत सरकार ने इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग के माध्यम से बार-बार उन तक राजनियक पहुंच देने की मांग की. अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक इस आशय के अनुरोध औपचारिक रूप से 25 मार्च 2016 और 31 मार्च 2017 के बीच 13 बार किए गए थे. पाकिस्तान अधिकारियों ने इसकी अनुमति नहीं दी थी.