नई दिल्ली: पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भारत ने पाकिस्तानी मूल के करीब 12 लोगों को आजाद करने के फैसले को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है. विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई के कई एजेंट भारत में पकड़े जाते हैं लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी को जासूसी के आरोप में फांसी दी जाए.
गौरतलब है सरकार ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया था कि साल 2013 से 2016 के बीच भारत में आईएसआई के 46 जासूस गिरफ्तार किए गए हैं. लेकिन जासूसी के आरोप में फांसी नहीं दी गई.
इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व चीफ डी सी पाठक के मुताबिक अगर कभी कोई शख्स पाकिस्तान के लिए भारत में जासूसी करता हूआ पाया जाता था तो कोशिश होती थी कि डबल एजेंट बना दिया जाए यानि अब वही शख्स जिसे भारत की जासूसी के लिए भेजा गया था उसी पाकिस्तान की जासूसी की जाए.
इसके अलावा भारत समय-समय पर जेल में बद पाकिस्तानी कैदियों को छोड़ता आया है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में दिए लिखित बयान में कहा था कि साल 2014 से 16 के बीच 250 पाकिस्तानियों को रिहा किया गया.
गौरतलब है कि साल 2014 में भी पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में सरबजीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई थी लेकिन जेल में ही उसकी हत्या कर दी गई थी. पाकिस्तान के इस व्यवहार को देखते हुए कहा जा सकता है भारत भी जल्द ही जैसे को तैसा वाली रणनीति अपनाएगा.