नई दिल्ली: पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भारत ने सख्त रुख अपना लिया है. बुधवार को 11 पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई को भारत ने कैंसिल कर दिया गया है. पाकिस्तान में अगवा भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को वहां की सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई है.
भारत ने जताया एतराज
पाकिस्तानी सेना की एजेंसी ISPR ने प्रेस रिलीज जारी कर कुलभूषण जाधव को कोर्ट मार्शल के जरिए फांसी की सज़ा सुनाए जाने की पुष्टि की. भारत की ओर से विदेश सचिव ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब कर साफ कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो ये जानबूझ कर की गई हत्या मानी जाएगी.
बता दें कि पाकिस्तान में जाधव की मौजूदगी को लेकर वहां की सरकार लगातार ना-नुकूर करती रही है. जबकि भारत सरकार ने पाकिस्तान स्थित अपने उच्चायोग के जरिए जाधव तक पहुंचने की लगातार कोशिश की. भारत सरकार ने 25 मार्च 2016 से 31 मार्च 2017 तक 13 बार ऐसी कोशिश कर चुकी है लेकिन पाकिस्तान ने जानबूझ कर टाल-मटोल कर अब जाधव को मौत की सजा सुना दी है.
कौन है कुलभूषण जाधव
कुलभूषण जाधव मुंबई के रहने वाले हैं. कुलभूषण जाधव साल 1991 में नौसेना में अधिकारी के तौर पर कमीशन किए गए थे और 2013 में रिटायर हो गए. भारत सरकार के मुताबिक जाधव का कार्गो बिजनेस है और वो ईरान के चाबहार बंदरगाह से पाकिस्तान के कराची तक कार्गो लेकर आते थे. भारत का आरोप है कि पाकिस्तान ने जाधव को पाकिस्तानी जल सीमा में पकड़ा और जासूस बताकर कब्जे में ले लिया.
यही नहीं, पिछले एक साल से कुलभूषण को कहां रखा, ये भी किसी को नहीं बताया. उनके खिलाफ मिलिट्री कोर्ट में कब सुनवाई हुई, इसकी जानकारी भी किसी को नहीं दी. ऐसे में उन्हें वकील मुहैया कराने का उसका दावा बेतुका है. जबकि पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज भी कह चुके हैं कि कुलभूषण के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि कुलभूषण जाधव के जरिए पाकिस्तान दुनिया में ये ढिंढोरा पीटना चाहता था कि बलूचिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उसके पीछे भारत की साज़िश है. कुलभूषण चूंकि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी थे और बलूचिस्तान से सटे ईरान में बिजनेस कर रहे थे, इसलिए पाकिस्तान आर्मी को लगा कि भारत को बदनाम करने के लिए जाधव को मोहरा बनाना बिल्कुल सही होगा.
जाधव को ईरान से किडनैप किया गया, ये बात भारतीय विदेश मंत्रालय आधिकारिक तौर पर कह चुका है. पाकिस्तानी फौज ने जाधव को फंसाने के लिए उनका इकबालिया बयान जारी किया, लेकिन उस वीडियो में भी भारी काट-छांट की गई थी. जहां तक कुलभूषण जाधव को फांसी की सज़ा सुनाने का सवाल है, तो इस बात पर पाकिस्तानी मीडिया भी हैरान है कि जाधव का ट्रायल सिविल या मिलिट्री कोर्ट में क्यों नहीं किया गया, उनको फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल के जरिए सज़ा क्यों सुनाई गई.