अनंतनाग: फिक्की (भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ) से संबद्ध एक दक्षिणपंथी व्यापारिक संगठन ने रोहिंग्या मुस्लिमों को जम्मू-कश्मीर से बाहर किए जाने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया. इस संगठन ने महबूबा सरकार को धमकी देते हुए कहा कि अगर एक महीने में रोहिंग्या मुस्लिमों को जम्मू से बाहर नहीं भेजा गया तो वह उनकी हत्या करना शुरू कर देगा.
चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज नाम के इस संगठन को शक है कि राज्य में आकर बसे रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी अपराधी हैं और ड्रग्स का धंधा भी करते हैं. संगठन के जम्मू अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को बंगलादेशी नागरिक और रोहिंग्या मुस्लिमों पर पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट के तहत केस दर्ज करना चाहिए. साथ ही इन लोगों को एक महीने कें अंदर राज्य से बाहर भेज जाना चाहिए.
राकेश गुप्ता ने कहा कि अगर सरकार इन लोगों के साथ ऐसा करने में नाकाम रही तो संगठन के पास अपराधियों की पहचान कर उनकी हत्या का आंदोलन चलाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचेगा. उन्होंने कहा कि सीसीआई पहला ऐसा संगठन है जिसने इन लोगों के निर्वासन की मांग की है. उन्होंने कहा कि हमारा संगठन अपने लोगों के हितों की सुरक्षा हमेशा से प्रतिबद्ध है और रहेगा और यह उसकी यह सामाजिक जिम्मेदारी भी है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार म्यामांर में जारी हिंसा के बाद से अब तक करीब 40,000 रोहिंग्या मुस्लिम भारत में आकर शरण ले चुके हैं. ये लोग समुद्र, बांग्लादेश और म्यामांर सीमा से लगे चीन इलाके के जरिए घुसपैठ करके भारत में घुसे हैं. बताया जा रहा है कि भारत में सबसे ज्यादा रोंहिग्या मुस्लिम जम्मू में बसे हैं, यहां करीब 10,000 रोंहिग्या मुस्लिम रहते हैं. हालांकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल देश में 14,000 रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी रहते हैं.
कौन हैं रोहिंग्या मुस्लिम ?
रोहिंग्या मुस्लिम प्रमुख रूप से म्यांमार (बर्मा) के अराकान (जिसे राखिन के नाम से भी जाना जाता है) प्रांत में बसने वाले अल्पसंख्यक मुस्लिम लोग हैं. म्यांमार में तकरीबन आठ लाख रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं और वे यहां सदियों से रहते आए हैं, लेकिन बर्मा के लोग और यहां की सरकार इन लोगों को अपना नागरिक ही नहीं मानती है.
म्यांमार सरकार ने 1982 में राष्ट्रीयता कानून बनाया था जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों का नागरिक दर्जा खत्म कर दिया गया था. जिसके बाद से ही म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती आ रही है. म्यांमार में एक अनुमान के मुताबिक़ 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं. इन मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं.