14 अप्रैल को मोदी जा सकते हैं नागपुर के आरएसएस मुख्यालय

नई दिल्ली : पीएम मोदी का 14 अप्रैल को नागपुर जाना करीब करीब तय है, उस दिन डा. अम्बेडकर की जयंती है तो दीक्षा भूमि तो जाना तय है ही, संघ मुख्यालय में जाने की भी चर्चा चल रही है. अब तक देश का केवल एक पीएम संघ मुख्यालय गया है, वो हैं अटल बिहारी बाजपेयी.
पीएम बने मोदी दो तीन साल हो गए हैं, ऐसे में अगर वो गए तो उनका पहला दौरा होगा. हालांकि उनके तीन बड़े कार्यक्रम नागपुर में पहले से ही तय हैं.
मोदी 14 अप्रैल को पांच पॉवर स्टेशंस देश को समर्पित करेंगे. ये शहर में उनका पहला कार्यक्रम होगा. उसके बाद वो मनकापुर के स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में एक लॉटरी का ड्रॉ निकालेंगे. इस ड्रॉ के जरिए भीम एप्प कैम्पेन के कॉम्पटीशन के विजेताओं को अवॉर्ड मिल सकेगा, ये केन्द्र सरकार की योजना है.
हालांकि ये कार्यक्रम नीति आयोग दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में करने वाला था, लेकिन एमसीडी चुनाव के चलते मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू होने के बाद उसे नागपुर शिफ्ट कर दिया गया.
तीसरा कार्य़क्रम इस शहर में डा. अम्बेडकर की दीक्षा भूमि पर रखा गया है, जहां वो बाबा साहब की जयंती पर उनको श्रद्धांजलि देंगे. दिलचस्प बात ये है कि उसी दिन जेएनयू के वामपंथी छात्र नेता कन्हैया कुमार की भी दीक्षाभूमि जाने की योजना है, ऐसे में दोनों का समय कनफर्म होने का वहां के अधिकारी इंतजार कर रहे हैं. कन्हैया की नागपुर जाने की वजह ये भी है कि कन्हैय़ा को अपनी किताब बिहार से तिहाड़ का मराठी संस्करण रिलीज करना है.
दिलचस्प बात ये भी है कि अगर मोदी 14 अप्रैल को रेशमी बाग स्थित संघ मुख्यालय जाते भी हैं. तो भी उनकी संघ के दोनों बड़े चेहरों से मुलाकात नहीं हो सकेगी यानी संघ प्रमुख मोहन भागवत और सर कार्यवाह भैया जी जोशी. गर्मियों में पूरे देश भर में संघ के ओटीसी कैम्प लगते हैं, सो दोनों का उन कैम्प्स में दौरा रहता है और भी कई कार्यक्रम पहले से लगे हुए हैं. भागवत दो दिन के लिए 8 मई को नागपुर लौटेंगे तो तृतीय वर्ष के मुख्य कैम्प के लिए. हालांकि संघ से जुड़े सूत्र बता रहे है कि मोहन भागवत 14 अप्रैल को नागपुर में रहने का विचार कर रहे हैं.
हालांकि अटल बिहारी बाजपेयी पीएम रहते आरएसएस कार्यालय में सन 26 अगस्त 2000 में आए थे, तब भी उनकी मुलाकार संघ प्रमुख के एस सुदर्शन से नहीं हो पाई थी. वो गंभीर रूप से बीमार उस प्रचारक से मिलते आए, जिसने उन्हें कभी 1937 में संघ से जोड़ा था, उनका नाम था नारायण राव तार्ते. यूं तो मोदी जब प्रचारक बने थे, तो उनका आखिरी कैम्प नागपुर में ही लगा था.
पीएम कैंडिडेट के लिए उनके नाम का ऐलान होने के बाद भी नागपुर आए थे, तब उनकी तकरीबन ढाई घंटे बातचीत मोहन भागवत और भैयाजी जोशी से हुई थी, बीजेपी के संगठन मंत्री राम लाल भी साथ में थे. उस वक्त के बीजेपी प्रेसीडेंट नितिन गडकरी को भी कुछ मिनटों के लिए संघ मुख्यालय बुलाया गया था. ऐसे में कयास तो तमाम लग रहे हैं, ऐसे मोदी ही बेहतर जानते हैं कि ये कयास ठीक हैं या गलत.
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