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विधान परिषद चुनाव में जेडीयू-आरजेडी को झटका, एनडीए आगे

पटना. बिहार विधान परिषद में स्थानीय निकाय कोटे की 24 सीटों के लिए हुए चुनाव में जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को झटका लगा है जबकि बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए बढ़त में है. रुझान के मुताबिक एनडीए को 15, जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को 8 सीटें मिलती दिख रही हैं.

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  • July 10, 2015 6:01 am Asia/KolkataIST, Updated 10 years ago

पटना. बिहार विधान परिषद में स्थानीय निकाय कोटे की 24 सीटों के लिए हुए चुनाव में जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को झटका लगा है जबकि बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए बढ़त में है. रुझान के मुताबिक एनडीए को 15, जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को 8 सीटें मिलती दिख रही हैं.

विधान परिषद की इन 24 सीटें के लिए 7 जुलाई को मतदान हुआ था. बीजेपी अभी तक 6 सीटें जीत चुकी है. जेडीयू को छपरा और गोपालगंज से हार का सामना करना पड़ा है. उपसभापति और जेडीयू नेता सलीम परवेज छपरा से हार गए हैं जिन्हें सच्चिदानंद राय ने हराया. गोपालगंज से बीजेपी के आदित्य नारायण ने जीत हासिल की है. 

पंचायत व्यवस्था के जनप्रतिनिधि होते हैं इस चुनाव में वोटर

विधान परिषद की स्थानीय निकाय वाली सीटों में त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था के जनप्रतिनिधि वोटर होते हैं. इस व्यवस्था में जिला परिषद, प्रखंड पंचायत समिति, ग्राम पंचायत के अलावा नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत के प्रतिनिधि भी आते हैं.

इस चुनाव में मतदाता वरीयता वाला मत देते हैं. मसलन एक वोटर एक से ज्यादा उम्मीदवार को अपनी पसंद की वरीयता के हिसाब से पहली वरीयता, दूसरी वरीयता या तीसरी वरीयता का मत दे सकते हैं.

वरीयता वाले मत की गिनती भी है थोड़ी हटकर

इस तरह के चुनाव की मतगणना भी सामान्य तरीके से नहीं होती है. इसमें वरीयता के मतों के हिसाब से गिनती होती है और गिनती तब तक चलती है जब तक किसी को कुल वैलिड वोट के 50 फीसदी से कम से कम 1 वोट ज्यादा न मिल जाए.

सबसे पहले प्रथम वरीयता के मतों के गिनती होती है और अगर किसी को उसमें 50 फीसदी से 1 ज्यादा वोट न आ जाए तो दूसरी वरीयता के मतों की गिनती होती है. दूसरी वरीयता के दो मत को एक मत माना जाता है. दूसरी वरीयता के मत की गिनती खत्म होने पर भी अगर किसी को 50 फीसदी से 1 ज्यादा वोट न आए तो फिर तीसरी वरीयता का वोट गिना जाता है.

यह क्रम तब तक चलता है जब तक किसी एक उम्मीदवार को कुल वैलिड वोटों के 50 फीसदी से 1 ज्यादा वोट न आ जाए. अगर आखिरी वरीयता के मतों की गिनती से भी नतीजा नहीं निकलता है तो तमाम तरह के वोटों की कुल संख्या के आधार पर विजेता का फैसला होता है.

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