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मीट पर पूर्ण बैन संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ, जबाव दें सीएम : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार के द्वारा मीट पर लगाए बैन को लोगों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है. बेंच ने मीट बैन से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मीट पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती.

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  • April 6, 2017 7:39 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार के द्वारा मीट पर लगाए बैन को लोगों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है. बेंच ने मीट बैन से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मीट पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती. ये लोगों को संविधान के द्वारा दिए गए अधिकारों को खिलाफ है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जबाव-तलब किया है. 
 
कोर्ट ने कहा कि खाना और खाने की आदत लोगों के जीने के अधिकार के अंतर्गत आती है, इसे आप छीन नहीं सकते. साथ ही कोर्ट ने योगी सरकार से ये भी कहा कि इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने 30 अप्रैल तक योगी सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लाइसेंस देने के लिए अदालत के दिशा निर्देश पर विचार किया जाए.
 
लखनऊ बेंच ने कहा कि 31 मार्च तक जिन दुकानों को लाइसेंस नहीं मिले थे, उन्हें 1 हफ्ते में लाइसेंस देने पर हमारे गाइडलाइंस के मुताबिक विचार हो. हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार अवैध बूचड़खानों को बंद करें, लेकिन पूरी तरह से मीट पर बैन नहीं लगाया जा सकता. संविधान में आर्टिकल 21 के तहत लोगों को जिंदगी जीने और उनकी पसंद के खान-पान का अधिकार है. 
 
बता दें कि योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का सीएम बनने के अगले ही दिन से ही सभी अवैध तरीके से चल रहे बूचड़खानों को बंद करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद मीट व्यापारी हड़ताल पर चले गए. 

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