देहरादून: गर्मी के दस्तक देते ही उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू से एक मरीज की मौत का मामला सामने आया है. हैरान करने वाली बात ये है कि हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट ने इस बात को करीब दस दिनों तक दबाये रखा.
दरअसल, देहरादून में राजावाला के रहने वाले 52 साल के एक व्यक्ति की अचानक तबीयत खराब होने पर उनके परिजनों ने उसे हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में भर्ती कराया था.
डॉक्टरों की जांच में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिले. इसलिए डॉक्टरों ने मरीज के सैंपल को जांच के लिए दिल्ली भेज दिया गया. मगर बताया ये जा रहा है कि इसी बीच बीते 26 मार्च को इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई.
हालांकि, अब उनकी रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है, जिसके बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाईएस थपलियाल ने हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट की रिपोर्ट तलब कर जांच की बात कही है.
हैरान करने वाली बात ये है कि उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू से एक मरीज की मौत हो चुकी है, बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग अचेत अवस्था में नजर आ रहा है. हद तो ये है कि स्वाइन फ्लू पर छीछालेदर से बचने के लिए स्वास्थ्य महकमा जानकारी दबाने पर उतर आया है.
आपको बता दें कि स्वाइन फ्लू की जांच के लिए जनपद में अब तक कुल 27 लोगों के सैंपल लिए गए हैं. इममें से चार लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई. स्वाइन फ्लू के मरीजों में एक महिला मैक्स अस्पताल में भर्ती है, जबकि दो अन्य स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं.
हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को स्वाइन फ्लू को लेकर सजग रहने की बात कही है.
मगर जिस तरह से हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट ने मौत का मामला दस दिनों तक दबाये रखा, उसके बाद से स्वास्थय महकमें के कामकाज पर सवाल उठने लाजिमी हैं.