नई दिल्ली: न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (NSG) में भारत की सदस्यता मिलने की उम्मीदें बढ़ गई है क्योंकि इस ग्रुप में शामिल होने पर कुछ देश भारत के समर्थन में नजर आ रहे हैं, जो पहले विरोध में थे. लेकिन मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि चीन अभी भी इसका विरोध कर रहा है.
एनएसजी के सलाहकार ग्रुप की बैठक के बाद इस बात के संकेत मिले हैं, जिसमें भारत की सदस्यता को लेकर विचार किया गया है. भारत के लगातार कड़े प्रयासों के कारण एनएसजी में सदस्यता की उम्मीदें बरकरार है. बता दें कि एनएसजी परामर्श समूह की बैठक में जर्मनी ने भारत को अपना समर्थन दिया है. वहीं पिछले दिनों अमेरिका ने फिर से भारत की सदस्या का समर्थन दोहराया था.
गौरतलब है कि भारत इस 48 सदस्यीय एनएसजी समूह में शामिल होने की पुरजोर कोशिश कर रहा है वहीं चीन नॉन-एनपीटी मेंबर्स को इस समूह में शामिल करने के खिलाफ है. चीन का मानना है कि एनपीटी पर हस्ताक्षर किए बगैर किसी भी देश को एनएसजी की सदस्यता नहीं मिलनी चाहिए. मालूम हो कि भारत ने एनपीटी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया है.
जर्मनी से रिश्ते मजबूत करने की कोशिश में भारत-
यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि जर्मनी पहली बार विदेश नीति मामले में अपनी दिलचस्पी दिखा रहा है और भारत का समर्थन कर रहा है. इसके अलावा जर्मनी मोदी सरकार की मुख्य योजनाओं पर फोकस कर रहा है, जिसमें ऊर्जा, स्मार्ट सिटी, कनेक्टिविटी, क्लीन गंगा, शिक्षा सुधार और रेलवे शामिल है. भारत की जर्मनी के साथ दोस्ती होने से भारत को एनएसजी में फायदा मिल सकता है.
दो बार जर्मनी जाएंगी मोदी-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल दो बार जर्मनी की यात्रा पर रवाना होंगे. पहली बार वह मई में जर्मनी जाएंगे और दूसरी बार जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने वह जुलाई में हैमबर्ग के लिए रवाना होंगे.