हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को भ्रष्टाचार के मामले में थोड़ी राहत की सांस मिली है. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ एकजुटता दिखाते हुए उनके कैबिनटे के छह मंत्रियों ने रविवार को बीजेपी की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें बीजेपी ने दिल्ली के अदालत में भ्रष्टाचार के आरोप के कारण उनसे इस्तीफे की मांग की थी.
विद्या स्टोक्स और मुकेश अग्निहोत्री समेत अन्य मंत्रियों के साझा बयान में यह कहा गया कि राज्य के लोग और कांग्रेस विशेष रूप से वीरभद्र सिंह की छवि को धूमिल करने और लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के भाजपा नेताओं के प्रयासों को बर्दाश्त नहीं करेगी.
साथ ही उन्होंने भाजपा के नेता सुरेश भारद्वाज और दो पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमूल और शांता कुमार को भ्रामक बयानबाजी से बचने की सलाह दी. साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा की इस दवाब की रणनीति से कांग्रेस किसी भी तरह से झुकने वाली नहीं है.
मंत्रियों ने कहा, “हर कोई जानता है कि वीरभद्र सिंह के खिलाफ अतीत में भी झूठे मामले बनाए गये हैं और हर बार वो अदालत से बाइज्जत बरी होकर निकलते हैं.’
गौरतलब है कि शुक्रवार को सीबीआई ने वीरभद्र सिंह और अन्य लोगों के खिलाफ़ दिल्ली के विशेष न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार गोयल के समक्ष आय से अधिक संपत्ति मामले में एक आरोप पत्र दायर किया था. बाद में वीरभद्र सिंह भी इसके खिलाफ एक याचिका दायर की थी.
आपको बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उनके खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी.
इससे पहले सीबीआई की ओर से वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और अन्य लोगों के खिलाफ दायर आरोप पत्र पर विचार करने के लिए विशेष न्यायाधीश गोयल ने शनिवार का दिन मुकर्रर किया था. सीबीआई ने इन सबके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न सेक्शन भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है.
वहीं, रविवार को भाजपा ने वीरभद्र सिंह के आय से अधिक संपत्ति मामले में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी अभी नैतिकता की संकट से गुजर रही है. आपको बता दें कि इससे पहले आय से अधिक संपत्ति के मामले में नैतिकता के आधार पर बीजेपी ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की थी.
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस नैतिकता की संकट से गुजर रही है. सीबीआई के आरोप पत्र पर वीरभद्र की याचिका ठुकराए जाने के बाद से कांग्रेस चुप क्यों है.