नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच के विवाद से पूरी दुनिया वाकिफ है. ऐसे कई मौके आए हैं, जब ऐसी आशंका जताई गई कि दोनों देशों के बीच युद्ध कभी भी छिड़ सकते हैं. इसी बीच अमेरिका के प्रमुख अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक आलेख में लिखा है कि अब अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात बनते हैं, तो फिर परमाणु हमला हो सकता है.
कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात प्रकट होते हैं, तो भारत पाकिस्तान पर परमाणु हमला करने से कतई पीछे नहीं हटेगा.
दरअसल, न्यूयॉर्क टाइम्स में 31 मार्च को छपे एक आर्टिकल में यह लिखा है कि अगर पाकिस्तान ने परमाणु हमले की धमकी दी तो भारत उसे करारा जवाब देने में पीछे नहीं हटेगा. आलेख में यह भी कहा गया है कि परमाणु हमले को लेकर अब भारत की इस नीति में स्पष्ट रुप से बदलाव आ चुका है. बताया यह भी जा रहा है कि भारत अब पुरानी नीतियों को छोड़ पाकिस्तान पर पहले हमला भी कर सकता है.
अखबार ने अपने आलेख में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रेगन की ओर से 1984 में दिये गये एक बयान का जिक्र करते हुए लिखा है कि परमाणु युद्ध को कभी नहीं जीता जा सकता है और न ही इसे कभी लड़ा जाना चाहिए. बता दें कि राष्ट्रपति रेगन का बयान युद्ध से होने वाली हानि के संदर्भ में था, जिसे जापान के हिरोशिमा और नागासकी में साफतौर पर देखा गया था.
अखबार ने भारत के संदर्भ में लिखा है कि भारत अब अपनी पुरानी नीतियों में बदलाव ला रहा है. हालांकि, ये बात भी सही है कि भारत शुरू से ही इस बात पर यकीन करता है कि उसे पहले परमाणु हमले नहीं करने हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान अपनी परमाणु क्षमता की आड़ में आतंकवाद को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है, जिसका खामियाज़ा भारत लंबे समय से भुगत रहा है. इसलिए ऐसी संभावना जताई गई है कि एक समय आएगा जब भारत के सब्र का बांध टूट जाएगा और वह पाकिस्तान पर पहले हमला करने से पीछे भी नहीं हटेगा.
आपको बता दें कि ये आलेख इस मायने में भी खास है, क्योंकि पिछले दिनों भारत के पूर्व रक्षामंत्री मनोहर परिर्कर ने भी परमाणु हमले को लेकर इसी तरह का बयान दिया था. उन्होंने उस वक़्त कहा था कि पाकिस्तान से युद्ध की सूरत में भारत परमाणु हमला करने से पीछे नहीं हटेगा.
हालांकि, उनके इस बयान के बाद पूरी दुनिया में खलबली मच गई थी. इसके अलावा, यूपीए सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे शिव शंकर ने भी अपने बयान से कुछ इसी तरह का इशारा किया था.