शौर्यगाथा: ओडिशा में सलीम-धरम की जोड़ी ने नक्सलियों के इरादों पर एक रात में ही फेर दी थी मिट्टी

नई दिल्ली: देश की आजादी के बाद सरहद पर जब कभी दुश्मन ने आंख उठाकर देखने की जुर्रत की तो सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया. लेकिन देश के अंदर के दुश्मन तो बॉर्डर के दुश्मन से भी ख़तरनाक होते हैं. वो आसानी से पकड़ में नहीं आते. ऐसे लोगों को सामने लाती हैं हमारे अर्द्धसैनिक बल.
जो न सिर्फ हमारे बॉर्डर की निगहवानी करती है बल्कि देश के अंदर मौजूद दुश्मनों से भी लड़ती है. सेना के पराक्रम तो गाहे-बहागे सामने आते हैं. लेकिन पारा मिलिट्री के पराक्रम की कहानियां उस तरह से सामने नहीं आ पाती है. इंडिया न्यूज़ ने हाल ही में ऐसे शूरवीरों की कहानी देश-दुनिया के सामने लाई है. जिन्होंने वीरता-देशभक्ति की लकीर खींची.
दिल्ली के ताज पैलेस होटल में शुक्रवार को इंडिया न्यूज द्वारा अर्द्धसैनिक बलों के सम्मान में शौर्यगाथा समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शिरकत की. साथ ही सम्मान समारोह में आईटीवी नेटवर्क के फाउंडर और प्रोमोटर कार्तिकेय शर्मा, एडिटर-इन-चीफ दीपक चौरसिया, मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत समेत कई वरिष्ठ पत्रकार और सुरक्षा बलों के जवानों व शहीदों के परिजनों मौजूद थे.
कार्यक्रम में सबसे पहले कार्तिकेय शर्मा ने राजनाथ सिंह को सम्मानित किया. फिर गृहमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के जवानों की वजह से भारत में विकास हो पा रहा है. भारत को ऊंचाईयों तक ले जाने में इन जवानों का बहुत योगदान है. अपने संबोधन के बाद उदय सलीम-धरम समेत 12 जांबाज बहादुर जवानों को गृहमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया.
इंडिया न्यूज़ हाल ही में अर्द्धसैनिक बलों के ऐसे शूरवीरों की कहानी देश-दुनिया के सामने लाया था जिन्होंने वीरता-देशभक्ति की लकीर खींची है. इसमें BSF, CRPF, CISF, ITBP, SSB, AR के जवान शामिल हैं. इनमें से किसी जवान ने बॉर्डर पर दुश्मनों के दांत खट्टे किए हैं तो किसी ने नक्सलियों की पूरे लश्कर को हराया है. इन जवानों में से कोई DIG हैं तो कोई कॉस्टेबल भी है.
कॉन्स्टेबल सलीम खान और ASI धरम सिंह
फिल्मों में जय-वीरु की तरह ये ये सलीम-धरम की जोड़ी है. रियल लाइफ में CISF के इन दोनों जवान कॉन्स्टेबल सलीम खान और ASI धरम सिंह ने 12 अप्रैल 2009 की पूरी रात नक्सलियों से लोहा लिया. अकेले नहीं 23 लोगों की टुकड़ी के साथ.
नक्सली ओडिशा के कोरापुट में बॉक्साइड की खदान पर लूट-पाट के लिए आए थे और 200 से ज्यादा की संख्या में थे. 9 घंटे की लड़ाई में 4 हजार राउंड गोलियां चली. दर्जन भर माओवादी मारे गए. कई पकड़े गए.  23 मार्च 2010 को CISF के रेजिंग डे परेड में इन्हें प्रेसिडेंट गैलेन्ट्री मेडल दिया गया.
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