नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने केजरीवाल सरकार की खुफिया इकाई को बंद करने का आदेश दिया है. केजरीवाल ‘फीडबैक यूनिट’ के नाम से इस इकाई को चला रहे थे. केजरीवाल सरकार ने एलजी की मंजूरी के बिना फीडबैक यूनिट को 1 करोड़ रुपए अलॉट किए और आईबी, रॉ, इनकम टैक्स विभाग और दूसरी जांच एजेंसियों के रिटायर्ड अफसरों को शामिल कर लिया था.
केजरीवाल की ‘जासूसी’ यूनिट बंद !
दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने रिश्वतखोरी पर स्टिंग करने के लिए एक ‘जासूसी इकाई’ बनाई थी। इसे नाम दिया था – ‘फीडबैक यूनिट’. ये खुफिया इकाई सीधे मुख्यमंत्री केजरीवाल को रिपोर्ट करती थी. केजरीवाल ने इसे विजिलेंस विभाग के तहत बनाया था. लेकिन विजिलेंस विभाग ने ही इसकी शिकायत सीबीआई से कर दी. सीबीआई की जांच में पता चला कि खुफिया इकाई में पैसों का हेरफेर किया गया है.
बताया गया कि यूनिट के किसी कैलाश चंद नाम के कर्मचारी को 50,000 रुपए दिए गए. उसने ये पैसा अलकनंदा इलाके के कालका पब्लिक स्कूल में रिश्वत के मामले का खुलासा करने के लिए स्टिंग ऑपरेशन पर खर्च किया. सरकार ने कैलाश चंद को एसीबी में अपर डिविजन क्लर्क बताया था. लेकिन विजिलेंस डिपार्टमेंट के मुताबिक एसीबी में इस नाम का कोई कर्मचारी ही नहीं है.
आईबी-रॉ के रिटायर्ड अफसर थे शामिल
जांच में पता चला कि केजरीवाल सरकार ने एलजी की मंजूरी के बिना फीडबैक यूनिट को 1 करोड़ रुपए अलॉट किए और आईबी, रॉ, इनकम टैक्स विभाग और दूसरी जांच एजेंसियों के रिटायर्ड अफसरों को शामिल कर लिया. सीबीआई की जांच अभी चल रही है और इसी बीच एलजी ने फीडबैक यूनिट को बंद करने के आदेश दे दिए हैं.
जासूसी में ‘गोलमाल’ !
सतर्कता विभाग के मुताबिक फीडबैक यूनिट के लोगों को सरकार ने एक कार, दो एसयूवी और तीन मोटरसाइकिलें भी दे रखी थी. कामकाज में मदद के लिए चार डाटा एंट्री ऑपरेटर भी नियुक्त किए. फीडबैक यूनिट के सदस्यों को उनकी हाजिरी के आधार पर भत्ते देने का प्रावधान किया गया. दिलचस्प है कि हर सदस्य ने अब तक अपनी शत-प्रतिशत मौजूदगी दर्ज कराई है. उनके भत्तों पर सरकार ने फरवरी 2016 से अब तक 40 लाख 82 हजार रुपए खर्च कर दिए. जबकि सतर्कता विभाग को ही पता नहीं कि ये लोग कहां बैठते हैं और कब-क्या काम करते हैं.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि केजरीवाल शुरुआत से ही ये दिखाना चाहते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सिर्फ वहीं जंग लड़ सकते हैं. इसी मकसद से उन्होंने विजिलेंस डिपार्टमेंट के तहत फीडबैक यूनिट बना दी. इस यूनिट के लोग रिश्वतखोरों का स्टिंग ऑपरेशन किया करते थे. लेकिन इस यूनिट में लोगों की बहाली और उन पर खर्च पैसों का हिसाब देना उनके लिए मुश्किल हो रहा है.
चूंकि उन्होंने एलजी से मंजूरी लिए बिना ही बजट का एक हिस्सा फीडबैक यूनिट को दे दिया, लिहाजा इस पर भी वो घिर गए हैं. माना जा रहा है कि सीबीआई की जांच में कुछ और बड़े खुलासे हो सकते हैं. एमसीडी चुनावों को देखते हुए केजरीवाल अपने बचाव में ये दलील दे सकते हैं कि केंद्र सरकार उन्हें बेवजह परेशान कर रही है.