नई दिल्ली: देश की आजादी के बाद सरहद पर जब कभी दुश्मन ने आंख उठाकर देखने की जुर्रत की तो सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया. लेकिन देश के अंदर के दुश्मन तो बॉर्डर के दुश्मन से भी ख़तरनाक होते हैं. वो आसानी से पकड़ में नहीं आते. ऐसे लोगों को सामने लाती हैं हमारे अर्द्धसैनिक बल.
दिल्ली के ताज पैलेस होटल में शुक्रवार को इंडिया न्यूज द्वारा अर्द्धसैनिक बलों के सम्मान में शौर्यगाथा समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शिरकत की. साथ ही सम्मान समारोह में आईटीवी नेटवर्क के फाउंडर और प्रोमोटर कार्तिकेय शर्मा, एडिटर-इन-चीफ दीपक चौरसिया, मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत समेत कई वरिष्ठ पत्रकार और सुरक्षा बलों के जवानों व शहीदों के परिजनों मौजूद थे.
कार्यक्रम में सबसे पहले कार्तिकेय शर्मा ने राजनाथ सिंह को सम्मानित किया. फिर गृहमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के जवानों की वजह से भारत में विकास हो पा रहा है. भारत को ऊंचाईयों तक ले जाने में इन जवानों का बहुत योगदान है. अपने संबोधन के बाद 13 जांबाज बहादुर जवानों को गृहमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया.
इंडिया न्यूज़ हाल ही में अर्द्धसैनिक बलों के ऐसे शूरवीरों की कहानी देश-दुनिया के सामने लाया था जिन्होंने वीरता-देशभक्ति की लकीर खींची है. इसमें BSF, CRPF, CISF, ITBP, SSB, AR के जवान शामिल हैं. इनमें से किसी जवान ने बॉर्डर पर दुश्मनों के दांत खट्टे किए हैं तो किसी ने नक्सलियों की पूरे लश्कर को हराया है. इन जवानों में से कोई DIG हैं तो कोई कॉस्टेबल भी है.
अपनी वीरता के लिए सम्मान पाने वाले इन 13 जवानों के अकथनीय जज्बे कहानी हम यहां बता रहे हैं: –
नरेन्द्र नाथ धर दुबे (कीर्ति चक्र से सम्मानित) DIG , BSF
इन दिनों दुबे डेप्युटेशन पर NIA में हैं. दुबे जी ने हिन्दुस्तान के ओसामा बिन लादेन कहे जाने वाले गाजी बाबा को मार गिराया. वो गाजी बाबा…जो जैश-ए-मोहम्मद का ऑपरेशन हेड था. संसद पर हमले का मास्टरमाइंड, जम्मू-कश्मीर की विधानसभा पर हमले का मास्टरमाइंड, आईसी-814 इंडियन एयरलाइन्स के विमान की किडनैपिंग का मास्टमाइंड. जम्मू-कश्मीर से लेकर देश के दूसरे राज्यों में 30 बड़े आतंकी हमले में उसका नाम था. उस गाजी बाबा को 30 अगस्त 2003 को एन एन डी दुबे के साथ BSF के चुनिंदा जवानों की टीम ने श्रीनगर के डाउनटाउन नूरबाग में मार गिराया.
प्रेम विश्वास (राष्ट्रपति पुलिस गैलेन्ट्री से सम्मानित) BSF में डिप्टी कमांडेंट
प्रेम विश्वास ने 30 जून 2006 को उत्तरी कश्मीर के बांदीपुर में प्रेम विश्वास की अगुवाई में BSF ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया. ये आतंकी बांदीपुर के जिस इलाके में ये छिपे थे. वो इलाका रिहाइशी था. LeT ने इसी जगह पर ऑपरेशनल आर्म्स डिपो भी बना रखा था. जो इस सफल ऑपरेशन में तबाह हो गया. इस ऑपरेशन ने उत्तरी कश्मीर में लंबे समय के लिए LeT को उठने का मौका नहीं दिया.
एस इलंगो, DIG, CRPF
23 फरवरी 2013 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में CRPF के ऑपरेशन को लीड करते हुए…DIG इलंगो ने 100 से ज्यादा नक्सलियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया. इतना ही नहीं आगे बढ़कर उनकी सप्लाई चेन तोड़ डाली. रात भर चले एनकाउंटर में माओदियों का इतना बड़ा नुकसान हुआ कि अगले दो सालों तक इस इलाके में वो सिर नहीं उठा सके, इतना ही नहीं पंजाब में आतंकवाद के दौरान भी इलंगो ने होशियारपुर में एसपी ऑपरेशन के पद पर रहते हुए एक बड़ा सफल ऑपरेशन किय. तीन बार उन्हें पुलिस गैलेन्ट्री का सम्मान मिला. मूल रूप से तामिलनाडु के रहने वाले इंलगो फर्राटेदार हिंदी और पंजाबी बोलते हैं और आज भी 25 किलो वजन के साथ 40 किलोमीटर पैदल चलने का माद्दा रखते हैं.
इंस्पेक्टर मंजीत सिंह (शौर्य चक्र से सम्मानित) ITBP
मंजीत सिंह ने 23 मई 2014 को अफगानिस्तान के हेरात में इंडियन कॉन्सुलेट पर हुए आतंकवादी हमले को नाकाम करने में इनकी बड़ी भूमिका रही. अपनी बेजोड़ सूझ-बूझ और नेतृत्व की बदौलत मंजीत सिंह ने न सिर्फ तीन आतंकवादियों को मार गिराया. बल्कि कांन्सुलेट में घुसने की आतंकियों की कोशिश भी नाकाम कर दी. इतना ही नहीं, एक सफल और जिम्मेदार वतन के सिपाही की तरह मंजीत ने एनकाउंटर से ठीक पहले कॉन्सुलेट के कर्मचारियों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया. भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें इस अदम्य साहस और सूझबूझ भरे ऑपरेशन के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया.
आर के सिंह (डिप्टी कमांडेंट-CRPF)
आर के सिंह ने 120 जवानों की टुकड़ी को लीड करते हुए. झारखंड में धरधरिया के जंगलों में रविन्द्र कुमार सिंह का मुकाबला नक्सलियों की पूरी टोली से हुआ. डेढ़ मिनट में 198 आईईडी ब्लास्ट हुए. रविन्द्र कुमार सिंह ने खुद अपना बांया पैर इस ब्लास्ट में खो दिया. लेकिन नक्सलियों से चौतरफा घिरने के बाद भी आर के सिंह ने न सिर्फ नक्सलियों को बड़ी क्षति पहुंचाई. बल्कि अपने कई जवानों को भी अपनी सूझ-बूझ से बचाया. भारत के राष्ट्रपति ने उनकी इस अदम्य वीरता के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया.
उदय दिव्यांशु (सेकेंड इन कमान-CRPF) कोबरा बटालियन
दिलेर दिव्यांशु ने एक दो नहीं आधा दर्जन से अधिक सफल ऑपरेशन की अगुवाई की है. अपनी कोबरा बटालियन के साथ जून 2010 में उन्होंने पश्चिम बंगाल के लालगढ़ में 200 से अधिक नक्सलियों से सीधा मुकाबला किया. 15 मिनट की लड़ाई में पराक्रम का लकीर खींच दी. लालगढ़ में दोबारा कानून का राज कायम किया. अदम्य साहस और सूझ-बूझ भरे नेतृत्व के लिए उन्हें पुलिस गैलेन्ट्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
कॉन्स्टेबल सलीम खान और ASI धरम सिंह
फिल्मों में जय-वीरु की तरह ये ये सलीम-धरम की जोड़ी है. रियल लाइफ में CISF के इन दोनों जवान कॉन्स्टेबल सलीम खान और ASI धरम सिंह ने 12 अप्रैल 2009 की पूरी रात नक्सलियों से लोहा लिया. अकेले नहीं 23 लोगों की टुकड़ी के साथ. नक्सली ओडिशा के कोरापुट में बॉक्साइड की खदान पर लूट-पाट के लिए आए थे और 200 से ज्यादा की संख्या में थे. 9 घंटे की लड़ाई में 4 हजार राउंड गोलियां चली. दर्जन भर माओवादी मारे गए. कई पकड़े गए. 23 मार्च 2010 को CISF के रेजिंग डे परेड में इन्हें प्रेसिडेंट गैलेन्ट्री मेडल दिया गया.
कुलोधर दास (कॉस्टेबल-CISF) पुलिस गैलेन्ट्री
कुलोधर दास ने 4 मार्च 2012 को झारखंड के पीपरवार की कोयला खदान पर हमला करने आए 100 से अधिक नक्सलियों से अपनी टीम के साथ लोहा लिया. नक्सलियों ने बार-बार सरेंडर की चेतावनी भी दी, नहीं तो परिणाम भुगतने की धमकी दी. लेकिन कुलोधर अपने साथियों के साथ डटे रहे. 6 घंटे की लड़ाई में 10 से अधिक माओवादियों को मार गिराया. 50 से अधिक नक्सलियों को मौके से भागने पर मजबूर किया.
नरपत सिंह राजपुरोहित (असिस्टेंट कमांडेट-SSB)
झारखंड-ओडिशा के इलाके में नरपत सिंह राजपुरोहित ने पिछले दो सालों में 24 से ज्यादा खूंखार नक्सलियों को पकड़ने में सफलता पाई है. उसमें से 8 सफलता नरपत सिंह राजपुरोहित के नाम है. नरपत गोली कम दुश्मनों को दिमाग से ज्यादा मारते हैं.
मदन सिंह राठौर (DIG-BSF)
एम एस राठौर की वीरता की कसमें वतन का हर सच्चा सिपाही खाता है. मदन सिंह राठौर को तीन बार राष्ट्रपति पुलिस गैलेन्ट्री दिया गया है. अपने करियर में उन्होंने 7 बार फिदायीन ऑपरेशन हैंडल किया. हर बार इसे सफलता से अंजाम तक पहुंचाया.
सूबेदार गणेशनाथ (असम राइफल्स)
देश के पूर्वी हिस्से में ऑपरेशन समर स्टॉर्म के नायक रहे हैं सूबेदार गणेशनाथ. मणिपुर के विशनपुर जंगल में जान की परवाह किए बगैर गणेशनाथ ने उग्रवादियों से आमने-सामने की लड़ाई लड़ी. असम राइफल्स के इस शूरवीर ने 3 उग्रवादियों को अकेले मार गिराया. असाधारण बहादुरी और अदम्य शौर्य के लिए सूबेदार गणेशनाथ को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.
निर्मला पुरोहित (BSF के शहीद कमांडेट वी पी पुरोहित की पत्नी)
15 साल पहले आतंकवादियों के बीच खौफ का दूसरा नाम थे वी पी पुरोहित. जम्मू-कश्मीर के बडगाम में आतंकियों से लड़ते हुए कमांडेंट पुरोहित ने अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया. 2 अगस्त 2002 को हुए इस ऑपरेशन में कमांडेंट वीपी पुरोहित ने 8 आतंकवादियों से लोहा लिया. दो को मौके पर मार गिराया, छह को भागने पर विवश किया) शहीद वीपी पुरोहित को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया.