नई दिल्ली. अयोध्या में राम जन्म भूमि विवाद मामले की रोज सुनवाई करने की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दी गई इस याचिका पर आज कोर्ट फैसला सुना सकता है.
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की बेंच ने इस मामले में अपनी राय रखते हुए कहा था कि यह मुद्दा आस्था और धर्म से जुड़ा हुआ है. अच्छा होगा कि दोनों ही पक्ष आपस में बैठकर इसको सुलझा लें.
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह इसमें मध्यस्थता करने के लिए तैयार है. सभी पक्षों को बातचीत के लिए मनाने के लिए 31 मार्च तक का समय भी दिया था और आज सबको अपनी राय रखनी है.
कोर्ट की इस टिप्पणी का कई हिंदू पक्षकारों और केंद्र सरकार ने स्वागत किया था. लेकिन मुस्लिम पक्षकारों को इसमें कुछ आपत्ति थी. आपको बता दें कि बातचीत के जरिए यह मसला सुलझाने के लिए पहले भी कई बार कोशिशें हो चुकी हैं.
हाईकोर्ट ने 2010 में दिया है फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में अयोध्या विवाद में फैसला सुनाया था जिसमें विवादित जमीन के तीन हिस्से किए थे जिसमें दो हिस्से निर्मही अखाड़ा और रामलला को दिए थे और एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया था.
सुब्रमण्यम स्वामी का विरोध
मस्जिद पक्ष के पक्षकार स्वर्गीय हाशिम अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड सुब्रमण्यम स्वामी का विरोध किया है. दोनों पक्षों की ओर से कोर्ट में शिकायत की गई है कि स्वामी इसमें पक्षकार नही हैं फिर भी उन्होंने इस मामले की जल्द सुनवाई के लिए कोर्ट में मामला उठा दिया है.
बोर्ड और अंसारी की ओर से दलील दी गई है कि स्वामी ने इसमें पक्षकार बनने के लिए अर्जी डाली है अभी तक इसमें कोई फैसला नहीं आया है फिर भी स्वामी कैसे इस मामले को कोर्ट में उठा सकते हैं.