लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने सुलह समझौते से राम मंदिर का रास्ता निकालने को कहा है. हांलाकि इस मुद्दे से जुड़े पक्षों ने इसपर कोई पहल नहीं की है लेकिन लखनऊ में कई मुस्लिम नेता खुलकर राममंदिर बनाने के पक्ष में आ गए हैं. कई मुस्लिम नेताओं ने राम मंदिर निर्माण को लेकर जगह-जगह पर कई पोस्टर लगाए हैं जिसमें अयोध्या में ही राम मंदिर बनाने की बात कही गई है.
क्या लिखा है पोस्टर में ?
पोस्टर में लिखा है- देश के मुसलमानों का यही है मान…राम मंदिर का हो वहीं निर्माण…एक और पोस्टर में लिखा है- हो जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण…मुस्लिमों का यही अरमान. खास बात ये है कि ये होर्डिंग उस वक्त लगाया गया जब लोक भवन में बीजेपी विधायकों की मीटिंग चल रही थी.
राम हिंदुस्तान की पहचान !
श्रीराम मंदिर निर्माण मुस्लिम कार सेवक मंच’ संगठन के अध्यक्ष आजम खान ने करीब 10 होर्डिंग्स इलाके में लगवाए हैं. इस पर आजम ने कहा कि राम ही हिंदूस्तान की पहचान हैं. अयोध्या में राम मंदिर का भव्य निर्माण जरुर हो. उन्होंने बताया कि ऐसा करने पर मुझे फोन पर जान से मारने की धमकियां मिलने लगी हैं. मुझसे कहा कि अगर बोलने का शौक है तो मस्जिद बनाए जाने के पक्ष में बोलो, नहीं तो अंजान अच्छा नहीं होगा. इतना ही नहीं मुझे मुंह बंद रखने के लिए रिश्वत देने की कोशिश की गई.
मुस्लिमों ने क्यों लगाया राम का पोस्टर ?
दरअसल पिछले दिनों आयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को आपसी सहमति से मामले सुलझाने की सलाह दी थी. जिसके बाद से ही राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर उठ गया है. लखनऊ में राम मंदिर के समर्थन में बैनर और पोस्टर लगाने वाली संस्था का नाम ‘श्री राम मंदिर निर्माण मुस्लिम कारसेवक मंच’ है.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि राम मंदिर के समर्थन में पोस्टर लगवाने वाले मुहम्मद आज़म खान बीजेपी के स्वयंभू सपोर्टर हैं. पेशे से रियल इस्टेट कारोबारी आज़म खान खुद को जिस मुस्लिम कारसेवक मंच का अध्यक्ष बता रहे हैं, उसका नाम भी लोगों ने पहली बार सुना है. मुहम्मद आज़म खान का मंदिर-मस्जिद आंदोलन से भी कोई नाता पहले कभी नहीं रहा, इसलिए मुस्लिम संगठनों पर उनका कोई प्रभाव नहीं है. वो खुद को आरएसएस के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच से जुड़ा बता रहे हैं. अब पोस्टरबाजी से राम मंदिर के निर्माण में मदद मिले ना मिले, मुहम्मद आज़म खान को इससे पब्लिसिटी जरूर मिल गई है.