नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को लोकसभा में जीएसटी से जुड़े चारों बिल पास करके इतिहास रच दिया है. आजादी के बाद इसे सबसे बड़े टैक्स रिफॉर्म के रूप में देखा जा रहा है.
ऐसे होगा टैक्स का बंटवारा
जीएसटी बिल के पास होने के बाद केंद्रीय उत्पादन शुल्क, अतिरिक्त उत्पादन शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क और सेवा कर जैसे केंद्रीय कर एक सीजीएसटी में विलय हो जाएंगे. वहीं राज्यों को मिलने वाला वैट, बिक्री कर, मनोरंजन कर, खरीददारी कर, मंडी कर, लक्जरी टैक्स, दान और प्रवेश कर जैसे एसजीएसटी में शामिल हो जाएंगे.
राज्यों को मिलने वाला कर
केंद्र सरकार सीजीएसटी और आईजीएसटी कर लेगी जबकि राज्यों एसजीएसटी कर लेंगे. सरकार को उम्मीद है कि नए अप्रत्यक्ष कर के नियम से सरकार की आय बढ़ेगी जिससे अर्थव्यवस्था में एक से दो फीसदी तक बढ़ोतरी होगी.
जीएसटी की सनरचना के चार पहलू
– नई टैक्स व्यवस्था में चार स्लैब दिए गए हैं 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी
– बुनियादी चीजों जैसे चावल और गेहूं पर कोई टैक्स नहीं
– सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले सामान जैसे मसालों, चाय, खाने के तेल जैसी आइटम पर सबसे कम पांच फीसदी टैक्स
– मेनुफेक्चरिंग और सर्विस क्षेत्र पर लगभग 12 से 18 फीसदी टैक्स
– लग्जरी कार, पान मसाला, तंबाकू और पेय पदार्थों पर सबसे ज्यादा 28 फीसदी टैक्स
राज्यों को मिलने वाला मुआवजा
बुधवार को पास हुए बिल के मुताबिक जीएसटी से राज्यों को जो भी आर्थिक नुकसान होगा उसकी भरपाई अगले पांच साल तक केंद्र सरकार करेगी. ये पैसा उस सैस फंड से आएगा जिसे केंद्र सरकार कुछ चुनिंदा सामानों पर लगाएगी.
करदाताओं पर दोहरा नियंत्रण
1.5 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाले करदाताओं पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों की नजर रहेगी.
जीएसटी से किसे मिेलेगी छूट
उत्तर-पूर्वी राज्यों में सालाना दस लाख से कम टर्नओवर वाले व्यापारी जीएसटी से बचे रहेंगे, देश के बाकी राज्यों के व्यापारियों के लिए ये सीमा 20 लाख होगी.