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राम का वनवास खत्म करने के लिए इससे उचित समय नहीं हो सकता: शिवसेना

आज पूरा देश गुढ़ी पडवा मना रहा है, इस मौके पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकिय में राम मंदिर के मुद्दे को जगह दी है. शिवसेना ने कहा है कि जहां आज पूरा देश गुढ़ी पाडवा मना रहा है ऐसे में अयोध्या में जारी भगवान राम का वनवास खत्म करने का यही सबसे सही समय है.

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  • March 28, 2017 7:05 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
मुंबई : आज पूरा देश गुढ़ी पडवा मना रहा है, इस मौके पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकिय में राम मंदिर के मुद्दे को जगह दी है. शिवसेना ने कहा है कि जहां आज पूरा देश गुढ़ी पाडवा मना रहा है ऐसे में अयोध्या में जारी भगवान राम का वनवास खत्म करने का यही सबसे सही समय है.
 
सामना के संपादकिय में लिखा गया है कि कई सालों से जारी राम का वनवास हमेशा के लिए खत्म करने का गुढ़ी पडवा से अच्छा कोई समय नहीं हो सकता. शिवसेना ने कहा, ‘केंद्र मे भी इस वक्त हिंदुत्ववादी सरकार है और उत्तर प्रदेश में योगी जैसा प्रखर चेहरा मिलने के चलते राम मंदिर में गुढ़ी लगाने का क्षण अब करीब आ गया है. इस मंगल कार्य को सिद्ध करने का संकल्प इस गुढ़ी पडवा पर होना चाहिए.’
 
शिवसेना का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो उस दिन देशभर के हिंदू घर-घर में गुढ़ी लगाकर एक बार फिर गुढ़ी पडवा मनाएंगे, यह नि:संशय है. सामना में लिखा गया है, ‘भगवान राम की जीत के आनंदोत्सव के रूप में अयोध्या की प्रजा ने अपने घरों में गुढ़ी लगाकर अपने राजा का स्वागत किया था, इस पार्श्वभूमि पर उत्तर प्रदेश के ताजा चुनाव में हिंदू विरोधी शक्तियों का निर्दालन अभी हुआ है, इसलिए बहुत जल्द ही अयोध्या में राम मंदिर की गुढ़ी निश्चित ही खड़ी की जाएगी.’
 
 
शिवसेना ने पहले भी कहा था कि राम मंदिर के मुद्दे पर अब सुप्रीम कोर्ट को नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश की जरूरत है. सामना में पहले भी कहा गया था कि राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर अब पीएम मोदी अपनी योजनाओं को आगे बढ़ा सकते हैं, क्योंकि इस वक्त देश का माहौल ऐसा हो गया है कि केवल मुस्लिम भी उनकी बात सुनते हैं और उनके पक्ष में हैं.
 
बता दें कि 21 मार्च को राम मंदिर के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सलाह दी थी कि दोनों पक्षों के लिए बेहतर होगा कि वो आपस में इस मुद्दे को सुलझा लें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये मामला धर्म और आस्था से जुडा है. इसलिए दोनों पक्ष आपस में बैठें और बातचीत के जरिए हल निकालने की कोशिश करें. साथ ही कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के जज भी मध्यक्षता करने को तैयार हैं. 

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