समाजवादी कुनबे में फिर घमासान, अखिलेश और मुलायम ने बुलाई विधायकों की अलग-अलग बैठक

समाजवादी कुनबे में एक और घमासान की सुगबुगाहट तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह ने पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक अलग-अलग तारीख पर बुलाई है. मंगलवार को यानी 28 मार्च अखिलेश ने पार्टी दफ्तर में नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई है

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समाजवादी कुनबे में फिर घमासान, अखिलेश और मुलायम ने बुलाई विधायकों की अलग-अलग बैठक

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  • March 27, 2017 5:41 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
लखनऊ: समाजवादी कुनबे में एक और घमासान की सुगबुगाहट तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह ने पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक अलग-अलग तारीख पर बुलाई है. मंगलवार को यानी 28 मार्च अखिलेश ने पार्टी दफ्तर में नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई है तो उधर पार्टी के संरक्षक बनाए गए मुलायम सिंह यादव ने बुधवार यानी 29 मार्च को नए विधायकों को अपने लखनऊ आवास पर बुलाकर समाजवादी घमासान की आहट तेज कर दी है.
 
 
इससे पहले शनिवार को लखनऊ के पार्टी दफ्तर में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में न तो मुलायम सिंह यादव को बुलाया गया और ना ही शिवपाल यादव को. इस बीच चुनावों में करारी हार के बाद पार्टी ने नया पोस्टर जारी किया जिसमें साइकिल के सिवाय किसी भी नेता की तस्वीर नहीं है. जबकि चुनावों के दौरान पोस्टर पर मुलायम की बड़ी तस्वीर थी और अखिलेश उनकी तरफ हाथ जोड़े दिखाई दे रहे थे.
 
 
चुनावों के दौरान अखिलेश ने – काम बोलता है के नारे को जोर-शोर से उठाया. मगर अब उनकी पार्टी के नए पोस्टर पर पुराना नारा फिर से लौट आया है. ये नारा है – ‘आपकी साइकल सदा चलेगी आपके नाम से, फिर प्रदेश का दिल जीतेंगे हम मिलकर अपने काम से’
 
 
परिवार में फिर छिड़ेगी जंग ! 
समाजवादी कुनबे में छिड़ी नई लड़ाई  का साइड इफेक्ट आजम खान और शिवपाल सिंह यादव पर हुआ है. विधायक दल के नेता की उनकी दावेदारी को अखिलेश ने दरकिनार कर दिया है. सोमवार को अखिलेश ने रामगोविंद चौधरी को विधायक दल के नेता के तौर पर मनोनीत कर दिया. ये विधानसभा में नेता विपक्ष भी होंगे. 
 
बलिया की बांसडीह सीट से विधायक चुने गए रामगोविंद चौधरी को अखिलेश का करीबी माना जाता है. ऐसा माना जा रहा था कि नवनिर्वाचित विधायकों के साथ 28 मार्च को होने वाली बैठक में अखिलेश विधायक दल के नेता का चुनाव करेंगे. लेकिन उससे पहले ही अखिलेश ने अपना दांव चल दिया.
 
 
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि अखिलेश यादव पार्टी पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहते, जबकि विरोधी खेमा चुनाव में मिली शिकस्त को मुद्दा बनाकर उन्हें किनारे करना चाहता है. अखिलेश यादव के सामने एक ही चुनौती है कि वो मुलायम को कैसे संतुष्ट रखेंगे ? 
 
इसलिए अखिलेश यादव की ओर से नया नारा उछाला गया है, जिसमें कहा गया है कि आपकी साइकिल सदा चलेगी आपके नाम से फिर प्रदेश का दिल जीतेंगे हम मिलकर अपने काम से. नाम किसका होगा, ये बिना कहे भी समझा जा सकता है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने मुलायम का नाम और अपना काम ही गिनाया था.

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