जान लीजिए इनकम टैक्स से जुड़े ये नए नियम, वरना 1 अप्रैल से हो सकती है परेशानी

संसद में वित्त विधेयक पारित होने के साथ ही वित्त वर्ष 2017-18 की बजट प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इस बिल के पारित होने के साथ ही बजट 2017 में किए गए टैक्स संबंधित सभी प्रवधान अब कानून बन गए है.

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जान लीजिए इनकम टैक्स से जुड़े ये नए नियम, वरना 1 अप्रैल से हो सकती है परेशानी

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  • March 25, 2017 5:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: संसद में वित्त विधेयक पारित होने के साथ ही वित्त वर्ष 2017-18 की बजट प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इस बिल के पारित होने के साथ ही बजट 2017 में किए गए टैक्स संबंधित सभी प्रवधान अब कानून बन गए है. इस वजह से अब बजट में प्रस्तावित टैक्स से जुड़े प्रावधान 1 अप्रैल से लागू हो जाएंगे.
 
यहां जानिए अगले महीने की शुरुआत से ही लागू होने वाले जरूरी प्रावधान..
 
1. टैक्स रिटर्न के रिवीजन की समयसीमा अब 1 साल ही होगी. वित्तीय वर्ष समाप्त होने और असेसमेंट पूरा होने के बाद से यह अवधि लागू होगी.
 
2. अब अचल संपत्ति की होल्डिंग पीरियड को 2 साल में ही लॉन्ग टर्म माना जाएगा. इससे 2 साल से ज्यादा वक्त तक अचल संपत्ति रखने पर 20 फीसदी की छूट के साथ टैक्स लगेगा. इसके साथ रीइन्वेस्टमेंट पर अन्य छूट मिलती रहेंगी.
 
 
3. सालाना 5 लाख रुपये से अधिक टैक्सेबल आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं को अब एक पेज का ही टैक्स रिटर्न फॉर्म भरना होगा. (बिजनस इनकम से अलग) पहली बार इस वर्ग के तहत रिटर्न फाइल करने वाले लोगों की स्क्रूटनी नहीं होगी.
 
4. सालाना 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को अब 5 फीसदी टैक्स देना होगा.
 
5. सालाना 3.5 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों के लिए टैक्स रिबेट को घटाकर 2500 रुपये कर दिया गया है. टैक्स रेट और रिबेट में बदलाव के चलते अब 3.5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल आय वाले लोगों को 2575 रुपये ही टैक्स के तौर पर देने होंगे.
 
6. 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक की सालाना आय वाले टैक्सपेयर्स के जरिए दिए जाने वाले कुल टैक्स पर 10 फीसदी सरचार्ज लगेगा. इसके अलावा 1 करोड़ रुपये से अधिक की आय वालों पर पहले की तरह ही 15 फीसदी सरचार्ज लगेगा.
 
7. अगर 2017-18 के टैक्स रिटर्न को देरी से फाइल करते हैं तो 31 दिसंबर 2018 तक 5000 रुपये का फाइन लगेगा. इसके बाद फाइल करने पर 10000 रुपये तक का फाइन देना होगा. वहीं 5 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों के लिए यह 1000 रुपये तक ही सीमित होगा.

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