आज से संघ प्रमुख मोहन भागवत लेंगे दिल्ली यूनिवर्सिटी के अध्यापकों की क्लास

नई दिल्ली : आरएसएस का मानना है कि तमाम विदेशी आक्रांताओं ने भारत के पुरानी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करके रख दिया. जो भी आया अपने हिसाब से भाषा और व्यवस्था को बदलता रहा, जिससे देश का युवा खिचड़ी शिक्षा पढ़ता आ रहा है और शिक्षा के भारतीय सिस्टम को हेय दृष्टि से देख रहा है.
विश्व गुरू माने जाने वाले भारत को फिर से कैसे दुनिया में वही स्थान दिलाया जाए, संघ अब इस उद्देश्य पर काम करने में जुट गया है. इसी कड़ी में एक बड़ा कार्यक्रम आज से दिल्ली यूनीवर्सिटी के हंसराज कॉलेज में शुरू हो गया है, जो दो दिनों तक चलेगा. कार्यक्रम का नाम ज्ञान संगम है.
इस कार्यक्रम में देश भर की तमाम यूनीवर्सिटीज के करीब 100 प्रोफेसर हिस्सा ले रहे हैं, जिनको संघ प्रमुख मोहन भागवत सम्बोधित करेंगे. संघ का मानना है कि एक साजिश के तहत गुलामी काल में विदेशियों ने और आजादी के बाद वामपंथियों ने भारत के प्राचीन एजुकेशन सिस्टम की छवि भारतीय स्टूडेंट्स के बीच में ही खराब कर दी. ऐसे में जब प्राचीन उपलब्धियों की कोई चर्चा करता है, तो लोग उसका मजाक उड़ाते हैं. जबकि एक दौर में यहां नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए पूरी दुनियां से छात्र आते थे.
ये कार्यक्रम आज और कल दो दिन तक चलेगा और इस कार्यक्रम से मीडिया को दूर रखा गया है. किसी भी बाहरी व्यक्ति को इनवाइट नहीं किया गया है. केवल आरएसएस के बड़े पदाधिकारी ही रहेंगे, भागवत के अलावा डॉ कृष्णगोपाल और सुरेश सोनी रहेंगे, शिक्षा बचाओ आंदोलन के अतुल कोठारी रह सकते हैं. कुछ और बड़े अधिकारी रह सकते हैं, जो अलग-अलग सैशन प्रोफेसर्स के साथ लेंगे.
दरअसल इस कार्यक्रम के जरिए उन प्रोफेसर्स से ये भी जानने की कोशिश है कि संघ जो कुछ सोच रहा है, उसके बारे में उन प्रोफेसर्स का क्या मानना है और उनके मुताबिक भारत की शिक्षा व्यवस्था में ज्यादा भारतीयता लाने के लिए क्या-क्या परिवर्तन लाए जा सकते हैं.
हालांकि इस तरह के क्लोज डोर कार्यक्रम के चलते इस पर सवाल भी उठने शुरू हो गए हैं. कई लेखों में इसे शिक्षा के भगवाकरण की साजिश की कोशिश करार भी दिया जा रहा है. ऐसे में संघ की तरफ से अभी कोई बयान इस संदर्भ में नहीं आया है, वैसे भी संघ अलग-अलग कार्यक्षेत्र के विषेशज्ञों से अलग-अलग मुद्दों पर ऐसी चर्चाएं करता आया है.
हाल ही में दिल्ली में संघ के वरिष्ठ अधिकारी इंद्रेश कुमार ने राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के साथ तमाम मुस्लिम मौलानाओं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयों के कुछ प्रोफेसर्स को भी मुस्लिमों से जुड़े कुछ विषयों पर चर्चा के लिए, उनकी राय जानने के लिए बुलाया था. तब भी क्लोज्ड डोर मीटिंग हुई थी और संघ ने किसी मीडिया को नहीं बुलाया था.
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