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मोदी सरकार का बड़ा फैसला: संसद के पास होगा आरक्षण देने का अधिकार

मोदी सरकार ने एक ऐसे आयोग का गठन करने का फैसला किया है जो सामाजिक और शिक्षा के आधार पर पिछड़े लोगों को आरक्षण देगा. आरक्षण की मांग कर रहे जाटों और पाटीदारों के आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने नेशनल कमीशन फॉर सोशियली एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लास (NSEBC) के गठन को मंजूरी दे दी.

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  • March 23, 2017 6:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने एक ऐसे आयोग का गठन करने का फैसला किया है जो सामाजिक और शिक्षा के आधार पर पिछड़े लोगों को आरक्षण देगा. आरक्षण की मांग कर रहे जाटों और पाटीदारों के आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने नेशनल कमीशन फॉर सोशियली एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लास (NSEBC) के गठन को मंजूरी दे दी. अब संविधान में संशोधन के लिए बिल लाएगी. 
 
 
नाम होगा NSEBC
ये बिल मनी बिल के तौर पर लाया जाएगा क्योंकि राज्यसभा में सरकार का बहुमत नहीं है. इस बिल के तहत बने नए आयोग का नाम NSEBC होगा. इसे संवैधानिक निकाय का दर्जा मिलेगा. अब तक ओबीसी सूची में जातियों को जोड़ने का काम सरकार किया करती थी. लेकिन अब संसद की मंजूरी से ये काम NSEBC करेगा. 
 
 
‘जाट और पाटीदार आंदोलन से जोड़ा फैसला’
सरकार का ये कदम सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के मुताबिक है जिसमें कहा गया था कि आरक्षण के लिए जाति अपने आप में कोई आधार नहीं बन सकती. ये बताना होगा पूरी जाति ही शैक्षणिक और सामाजिक रूप से दूसरी जातियों से पिछड़ी है. मोदी सरकार के इस फैसले को जाट और पाटीदार आंदोलन से जोड़ कर देखा जा रहा है. हरियाणा और गुजरात में राज्य सरकारों पर आरक्षण के लिए दबाव बनाया जा रहा है. माना जा रहा है कि सरकार ने इस मुश्किल को दूर करने के लिए आयोग बनाने का फैसला किया है. 
 
 
कैबिनेट ने क्या फैसला किया?
कैबिनेट में जिस फैसले को मंजूरी दी गई उसके मुताबिक सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के लिए राष्ट्रीय कमीशन का गठन किया जाएगा. इसके लिए संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 338B जोड़ा जाएगा. संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 में अनुच्छेद 342A को जोड़ते हुए प्रावधान किया जाएगा कि केन्द्र सरकार की ओबीसी सूची में जाति का नाम जोड़ने या हटाने के लिए संसद की मंजूरी लेना आवश्यक होगा.
 
संविधान के अनुच्छेद 366 में 26C प्रावधान को जोड़ते हुए देश में सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों की परिभाषा दी जाएगी. पहले से मौजूद नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड क्लासेस एक्ट, 1993 कानून को रद्द किया जाएगा. इस एक्ट के तहत गठित ओबीसी कमीशन को भंग किया जाएगा.
 
 
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि इस साल के अंत तक गुजरात में चुनाव होंगे. 15 साल से राज कर रही बीजेपी को एंटी-इनकंबेसी का सामना करना पड़ेगा. वहीं, पाटीदार आरक्षण का मुद्दा जोर-शोर से उठा सकते हैं. लिहाजा सरकार ने इस पचड़े से खुद को बाहर निकालने के लिए आयोग का गठन करने को मंजूरी दे दी है.

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