नई दिल्ली: बात थोड़ी पुरानी है. यूपी के मेरठ में लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर पुलिस ने ऑपरेशन मजनूं चलाया था, जिस पर पूरे देश में हंगामा हो गया कि क्या पुलिस अब मोरल पुलिसिंग करेगी ? अब यूपी के तमाम शहरों में पुलिस ने बाकायदा एंटी रोमियो दस्ता बनाकर मनचलों को सबक सिखाना शुरू किया है और इसकी ज्यादातर लोग तारीफ कर रहे हैं.
दसवीं सदी में फारसी लेखकर निज़ामी गंजवी ने लैला मजनूं की लव स्टोरी लिखी थी और इसके करीब पांच सौ साल बाद शेक्सपियर की कलम से निकली रोमियो और जूलियट की लव स्टोरी. रोमियो और मजनूं अपनी-अपनी लव स्टोरी के हीरो थे, लेकिन वक्त के साथ उनका नाम इस कदर बदनाम हुआ कि अब आवारा, शोहदों, लफंगों और लड़कियों के साथ छेड़खानी करने वालों को मजनूं और रोमियो नाम सरकारी तौर पर दिया जा रहा है.
यूपी में कुछ साल पहले तक पुलिस ऑपरेशन मजनूं के नाम से मनचलों के खिलाफ अभियान चलाती थी, अब यूपी पुलिस एंटी रोमियो दस्ते बनाकर महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा का अभियान चला रही है. यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही पुलिस का पहला एक्शन ही एंटी रोमियो स्क्वॉड के जरिए शुरू हुआ. थाना स्तर पर एंटी रोमियो दस्ते बनाकर अब पुलिस की टीमें पार्क, मॉल और गर्ल्स स्कूल और कॉलेज के आसपास नज़र रखे हुए है.
क्या सिर्फ नाम और निजाम बदलने से यूपी में हालात बदल गए हैं. क्या एंटी रोमियो स्क्वॉड छेड़खानी रोकने के लिए जरूरी है ? क्या विपक्ष की ये चिंता जायज़ है कि ऑपरेशन रोमियो में बेकसूर भी पिट रहे हैं, आज इन्हीं सवालों पर होगी बड़ी बहस.
(वीडियो में देखें पूरा शो)