नई दिल्ली: शिवसेना के सांसद रवींद्र गायकवाड़ ने एयर इंडिया के अधिकारी की पिटाई कर दी. सांसद ने कबूल किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेने पर एयर इंडिया अधिकारी को 25 सैंडल मारे. इस घटना के बाद एअर इंडिया ने सांसद के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कराईं. सांसद को ब्लैकलिस्ट भी कर दिया. एयरलाइन ऐसे पैसेंजर्स के खिलाफ नो-फ्लाई लिस्ट बनाने का भी विचार कर रही है.
‘हां मैंने 25 बार मारा’
शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ ने कहा कि मैं सांसद हूं, तो क्या गालियां खाऊं” यहीं नहीं, उन्होंने यहां तक कह डाला, “मैं शिवसेना का सांसद हूं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का नहीं. मैंने उसे अपनी सैंडल से 25 बार मारा, क्योंकि वह बदतमीज़ी कर रहा था. मैं तो मैनेजर को उठाकर बाहर फेंकने वाला था”
क्या कहा सुकुमार ने ?
एयर इंडिया के पीड़ित स्टाफ सुकुमार ने कहा कि हां गायकवाड़ ने मुझे मारा, भद्दे शब्द कहे और मेरा चश्मा तोड़ा और सबके सामने बेइज्जत भी किया. मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी.
क्या कहा शिवसेना ने ?
शिवसेना सांसद की इस हरकत से शिवसेना शर्मसार है. लेकिन वो ये कह कर उनकी गुंडागर्दी का बचाव कर रही है कि गायकवाड़ अपने इलाके में बेहद लोकप्रिय हैं. शिवसेना प्रवक्ता मनीषा कायंडे ने कहा कि गायकवाड़ एक प्राध्यापक हैं और वह अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने गायकवाड़ का अपमान किया और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था.
क्या था मामला ?
असल में ये पूरा विवाद सीट को लेकर शुरु हुआ. सांसद रवींद्र गायकवाड़ पुणे से दिल्ली आ रहे थे. उनके पास बिजनेस क्लास का ओपन टिकट था जिस पर वो किसी भी दिन सफर कर सकते थे. लेकिन उन्होंने सुबह 7 बजकर 35 मिनट की फ्लाइट से जाने की जिद की. उस विमान में सारी सीटें इकोनॉमी क्लास की थीं. इस बात को सुनकर सांसद बिफर गए. फ्लाइट दिल्ली पहुंची तो उन्होंने नीचे उतरे से इनकार कर दिया.
गायकवाड़ का कहना था कि उन्होंने बिजनेस क्लास की टिकट के पैसे दिए लेकिन उन्हें इकॉनोमी क्लास में बिठाया गया. ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है. उन्होंने अपनी शिकायत एयर होस्टेस को लिख कर दी और किसी अधिकारी से बात कराने को कहा. एक घंटे तक गायकवाड़ नीचे नहीं उतरे. डिप्टी मैनेजर सुकुमार ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नहीं माने. जब सुकुमार ने कहा कि वो पीएम मोदी से शिकायत करेंगे तो गायकवाड़ भड़क गए और उनकी पिटाई कर दी.
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि इस साल के अंत तक गुजरात में चुनाव होंगे. 15 साल से राज कर रही बीजेपी को एंटी-इनकंबेसी का सामना करना पड़ेगा. वहीं, पाटीदार आरक्षण का मुद्दा जोर-शोर से उठा सकते हैं. लिहाजा सरकार ने इस पचड़े से खुद को बाहर निकालने के लिए आयोग का गठन करने को मंजूरी दे दी है.