नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में बीजेपी और संघ के नेताओं के खिलाफ अगली सुनवाई अब 6 अप्रैल को होगी. आज की सुनवाई में कोर्ट ने सभी पक्षों को लिखित में अपना पक्ष रखने को कहा है.
इससे पहले बुधवार को वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित 12 लोगों के खिलाफ सुनवाई एक दिन के लिए टल गई थी. बेंच में जस्टिस रोहिंग्टन के नहीं होने से सुनवाई टाली गई. अब मामले की सुनवाई 23 मार्च (आज) होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने हुई पिछली सुनवाई में साफ कहा था कि पहली नज़र में इन नेताओं को आरोपों से बरी करना ठीक नहीं लगता. यह कुछ अजीब है.
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ और रायबरेली के मुकदमों को एक ही कोर्ट में चलाने का सुझाव दिया था. अगर ऐसा किया जाता है तो बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, कल्याण सिंह जैसे कई बड़े नेताओं को साज़िश की धारा में मुकदमे का सामना करना पड़ सकता है.
कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई को इस मामले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ समय पर सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए थी. निचली अदालत ने तकनीकी आधार पर इन नेताओं को बरी किया था जिस पर हाइकोर्ट ने मुहर लगाई थी.
कोर्ट ने सीबीआई को कहा कि इस मामले में सभी 13 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश की पूरक चार्जशीट दाखिल करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बाबरी विध्वंस मामले में दो अलग-अलग अदालतों में चल रही सुनवाई एक जगह ही क्यों न हो? क्यों न मामले को लखनऊ ट्रांसफर कर दिया जाए. जहां इसी से जुड़े एक मामले की सुनवाई पहले से ही चल रही है. वहीं लालकृष्ण आडवाणी की ओर से इसका विरोध किया गया और कहा गया कि इस मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना पड़ेगा जो काफी मुश्किल है.
बता दें कि न्यायमूर्ति वी. हाजी महबूब अहमद और सीबीआई ने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के संबंध में कल्याण सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत 13 से साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के खिलाफ अपीलें दायर की थी.